Lok Sabha Election 2024 : 40 साल से ओवैसी परिवार के साथ खड़ी हैदराबाद की जनता क्या इस बार देगी माधवी लता को मौका?

हैदराबाद पर पिछले 40 साल से असदुद्दीन ओवैसी के परिवार का कब्जा है. इस बार के चुनाव में क्या वे जनता का विश्वास जीतने में कायम होंगे यह बड़ा सवाल है.

By Rajneesh Anand | May 12, 2024 2:09 PM
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Lok Sabha Election 2024 : तेलंगाना राज्य की राजधानी है हैदराबाद. तेलंगाना राज्य का गठन 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग करके हुआ था, यह भारत का 29 वां राज्य बना था. हैदराबाद की राजधानी हैदराबाद हमेशा से ही लोकसभा चुनाव में हाॅट सीट मानी जाती रही है. इस सीट से एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी सांसद हैं. वे यहां 2004 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. हैदराबाद संसदीय सीट पर मुसलमानों का प्रभाव है और वे चुनाव का नतीजा तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. हैदराबाद संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो हमें यह पता चलेगा कि यहां चुनाव ज्यादातर एकतरफा ही जीते गए हैं.

जीत को लेकर आश्वस्त हैं असदुद्दीन ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी से पहले उनके पिता सुलतान सलाउद्दीन ओवैसी यहां सांसद रहे थे. वे यहां 1984 से 1999 तक सांसद रहे, यानी हैदराबाद सीट पर पिछले 40 सालों से एआईएमआईएम का दबदबा रहा है. ओवैसी के खिलाफ जो भी नेता चुनाव लड़े वे हारे और सुल्तान ओवैसी से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक दोनों अपनी जीत को लेकर हमेशा आश्वस्त दिखे. हैदराबाद में मुसलमानों की आबादी लगभग 45 प्रतिशत है (2011 की जनगणना के अनुसार) हालांकि यह दावा किया जा रहा है कि यहां लगभग 60 प्रतिशत वोटर मुसलमान हैं. इतिहास पर नजर डालें तो आजादी के वक्त हैदराबाद निजामों के अधीन था, जिन्होंने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था. तब सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से निजाम को बाध्य किया गया कि वे भारत में शामिल हों, तब जाकर 1948 में सेना के प्रयासों से हैदराबाद भारत का अंग बना. उस वक्त हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली थे.

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अहमद मोइउद्दीन थे हैदराबाद के पहले सांसद

संविधान लागू होने के बाद भारत में पहला लोकसभा चुनाव 1951 से 1952 के बीच कराया गया था. हैदराबाद के पहले सांसद अहमद मोइउद्दीन थे, कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे. 1957 में विनायक राव कोरटकर यहां के सांसद बने वे भी कांग्रेस पार्टी के ही सदस्य थे. उसके बाद गोपालैया सुब्बुकृष्ण मेलकोटे वहां से सांसद बनेन. वे पहले कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन बाद में तेलंगाना अलग राज्य के आंदोलन में शामिल होकर उन्हें कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और तेलंगाना प्रजा समिति के सदस्य के तौर पर 1971 में सांसद बने. उनके बाद हैदराबाद से 1977 और 1980 में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार केएस नारायण चुनाव जीते. केएस नारायण के बाद वहां ओवैसी परिवार का दबदबा कायम हो गया. 1984 में यहां से सुलतान सलाउद्दीन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते, जबकि उस वक्त इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को प्रचंड बहुमत देश में मिला था, लेकिन कांग्रेस पार्टी यहां से हार गई थी.

बीजेपी को माधवी लता ने बनाया है उम्मीदवार

इस बार के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी के सामने बीजेपी ने माधवी लता को चुनावी मैदान में उतारा है, जो काफी आक्रामक प्रचार कर रही हैं और यह भी दावा कर रही हैं कि वे ओवैसी को बड़े अंतर से चुनाव हरा देंगी. हालांकि ओवैसी का कहना है कि उनके सामने कोई चुनौती हैं, उन्हें अपने काम पर भरोसा है और कोरोना के दौरान उन्होंने जो काम किया, वो उन्हें जीत दिलाएगा. माधवी लता का दावा है कि ओवैसी ने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया, उन्हें मुस्लिम महिलाओं का भी पूरा समर्थन प्राप्त है. तेलंगाना की 17 सीट पर 13 मई को मतदान होना है, हालांकि नतीजा तो 4 जून को ही सामने आएगा.

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