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Bharat Ratna : नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक, कर्पूरी ठाकुर के जरिए सोशल इंजीनियरिंग का खेला दांव

कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देकर मोदी सरकार ने बिहारियों का दिल जीत लिया और बीजेपी यह मैसेज देने में भी पूरी तरह सक्षम साबित हुई है कि वो पिछड़ों का हित सुरक्षित करने वाली पार्टी है.

बिहार के जननेता कर्पूरी ठाकुर को भारत सरकार ने मरणोपरांत भारतरत्न देने की घोषणा की है. भारत सरकार के इस फैसले से बिहार की राजनीति में खलबली मची हुई है. कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देकर मोदी सरकार ने बिहार में पिछड़ों को साधने की कोशिश की है, जिसे आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है.

पिछड़ों के वोट पर लालू-नीतीश का कब्जा

बिहार की राजनीति पर अगर फोकस करें तो पिछड़ा वर्ग अबतक आरजेडी और नीतीश कुमार के साथ रहा है. बिहार की राजनीति में जाति का कितना प्रभाव यह जगजाहिर बात है और आम जनता वोट भी उसी आधार पर करती है. इस लिहाज से कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देकर मोदी सरकार ने बिहारियों का दिल जीत लिया और बीजेपी यह मैसेज देने में भी पूरी तरह सक्षम साबित हुई है कि वो पिछड़ों का हित सुरक्षित करने वाली पार्टी है.

सबका साथ सबका विकास

अमूमन यह माना जाता रहा है कि बीजेपी अगड़ों की पार्टी है, लेकिन नरेंद्र मोदी जो खुद पिछड़ा वर्ग से आते हैं उन्होंने इस तरह की रणनीति बनाई है, जो यह साबित करने में सफल रही है कि बीजेपी ‘सबका साथ और सबका विकास’ का सिर्फ नारा नहीं देती, बल्कि वह इसपर समर्पित भाव से काम भी करती है.

नीतीश कुमार ने की तारीफ

कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देकर नरेंद्र मोदी ने अपने साथी रहे विरोधी नीतीश कुमार से भी प्रशंसा बटोरी ली है. नीतीश कुमार ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में इस फैसले को स्वागत योग्य बताया और सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर इस निर्णय की सराहना की. उन्होंने पोस्ट किया- ‘पूर्व मुख्यमंत्री और महान समाजवादी नेता स्व कर्पूरी ठाकुर जी को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया जाना हार्दिक प्रसन्नता का विषय है. वर्षों की पुरानी मांग आज पूरी हुई है. इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद.’

पिछड़ों को बिहार में दिलाया आरक्षण

कर्पूरी ठाकुर को पिछड़ों का बड़ा हितैषी माना जाता है. बिहार में पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए उन्होंने अपने कैबिनेट के साथियों की नाराजगी भी झेली थी, लेकिन बखूबी उन्हें इसके लिए मना भी लिया था. जबतक वे मुख्यमंत्री रहे, उन्होंने पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए काम किया. बिहार में मुंगेरीलाल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 1978 में पिछड़ों को आरक्षण दिया गया था, जिसके आधार पर पिछड़ा वर्ग को आठ प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग को 13 प्रतिशत, महिलाओं को तीन प्रतिशत और आर्थिक रूप से पिछड़ों को तीन प्रतिशत आरक्षण दिया गया. लेकिन मंडल कमीशन आने के बाद बिहार में लालू यादव की सरकार ने महिला आरक्षण को पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए सुरक्षित कर दिया.

नीतीश कुमार और लालू यादव के गुरु रहे हैं कर्पूरी ठाकुर

नीतीश कुमार और लालू यादव ने हमेशा कर्पूरी ठाकुर को अपना गुरु माना है, ऐसे में उनके गुरु को सम्मानित करके नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें लाजवाब कर दिया है. राजनीतिक गलियारों में इस फैसले के परिणामों की भी चर्चा होने लगी है, जिसमें यह कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल सकता है. नरेंद्र मोदी सरकार ने पुरस्कारों की घोषणा में उन तबकों पर ज्यादा फोकस किया है, जो आजादी के इतने साल बाद भी उपेक्षित रहे. आदिवासी, पिछड़ों और महिलाओं को सम्मान देने में मोदी सरकार ने बाजी मारी है.

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