Lok Sabha Election 2024 (विवेक चंद्र) : चुनावी बिसात पर सिय़ासी शह-मात की बाजी के बाद जनता की अदालत में उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला तो होना ही है, लेकिन इससे पहले जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धाराएं भी यह जांचेंगी कि आप उम्मीदवार बनने के काबिल हैं या नहीं. राजनीतिक दलों के उम्मीदवार नहीं बन पाने की स्थिति में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग्य आजमाने की होड़ में लगे नेताओं के लिए यह जानना और भी जरूरी है. संविधान में न्यूनतम 25 साल के स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति की लोकसभा चुनाव लड़ने की य़ोग्यता के साथ ही उम्मीदवारी की काफी शर्तें बताई गईं हैं. कई बार उम्मीदवार के चुनाव जीतने के बाद भी उनके किसी खास शर्त के पूरा नहीं करने का पता चलने पर सदस्यता खत्म कर दी जाती है. नामांकन के समय उम्मीदवार की पृष्ठभूमि जांचने में निर्वाची अधिकारी सामान्य तौर पर कुछ खास धाराओं का ही चेक लिस्ट के रूप में उपयोग करते हैं. संसद जाने का सपना संजोने वाले नेताओं के लिए भी इन धाराओं के जरिये यह जानना जरूरी है कि वे नामांकन करने के योग्य हैं य़ा नहीं.
धाराओं के संबंध में जानें
- धारा-8: इसमें वर्णित 21 तरह के अपराधों में सजा पाने पर कोई व्यक्ति छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है.
- धारा-8(ए): भ्रष्ट आचरण के आधार पर चुनाव लड़ने के लिए छह साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने की व्यवस्था है.
- धारा-9: भ्रष्ट आचरण या रिश्वत लेने के आरोप में सरकारी कर्मचारी के बर्खास्त होने पर पांच साल तक वह चुनाव नहीं लड़ सकता है. ठेकेदार को भी सरकारी योजनाओं के ठेके में गड़बड़ी के मामले में रजिस्ट्रेशन कैंसिल होने पर चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है.
- धारा 10 : 25 फीसदी से अधिक सरकारी शेयर कैपिटल वाली कंपनी के निदेशक या प्रबंधक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
- धारा 10(ए)): चुनाव खर्च का हिसाब जमा नहीं करने पर चुनाव आयोग चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा सकता है.
यह भी जान लें कि क्या कहता है संविधान
भारत की गैर-नागरिकता या किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा का पालन करने की स्थिति में चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहरा दिया जायेगा. अनुच्छेद 102 (1) (ई) और 191 (1) (ई) के तहत अपराधी घोषित होने पर चुनाव लड़ने से अयोग्य करने के लिए नियम बनाया गया है. धारा 8 के तहत अपराधों के लिए दोषसिद्धि, धारा 8 ए में भ्रष्ट आचरण, धारा 9 में सरकार से बर्खास्तगी और धारा 10 में सरकारी कंपनी के अधीन कार्यरत होने पर भी अयोग्य घोषित किया जायेगा. वहीं धारा 10 ए में चुनाव खर्च का हिसाब नहीं देने पर अयोग्य घोषित करने का प्रावधान किया गया है.
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अनुच्छेद 102 (1) (ई) और 191 (1) (ई) की धारा नौ क के तहत पिछले पांच वर्षों के अंदर सरकारी सेवा से बर्खास्त किये गये उम्मीदवार को चुनाव आयोग से भ्रष्टाचार या विश्वासघात के लिए बर्खास्त नहीं करने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है. नामांकन के साथ प्रमाण पत्र दाखिल नहीं करने पर धारा 33 (3) में नामांकन खारिज करने का प्रावधान किया गया है. धारा 10 (ए) के तहत चुनाव आयोग को चुनाव खर्च का हिसाब नहीं देने पर अयोग्य करार दिये जाने का प्रावधान है. आयोग द्वारा समय-समय पर ऐसे व्यक्तियों की सूची प्रसारित की जाती है. हालांकि, इस धारा के तहत अयोग्यता तीन वर्ष की विशिष्ट अवधि के लिए है.
संविधान के अनुच्छेद के बारे में जानें
- संविधान के अनुच्छेद 102 (1ए) और 191(1)(ए) में सरकार के अधीन लाभ का पद निर्धारण किया गया है। ऐसे पदों पर रहते हुए चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
- अनुच्छेद 102 (1) (बी) व 191 (1)(बी) में मानसिक अस्वस्थ की स्थिति में अयोग्य ठहराने के लिए नियम बनाया गया है. इस मामले में केवल आरोप पर्याप्त नहीं है. संबंधित व्यक्ति को भारतीय पागलपन अधिनियम, 1912 के तहत सक्षम न्यायालय द्वारा मानिसक रूप से अस्वस्थ घोषित किया जाना चाहिए.
- अनुच्छेद 102 (1) (सी) और 191 (1) (सी) में दिवालिया घोषित होने पर अयोग्य करार देने का प्रावधान है. प्रांतीय दिवाला अधिनियम, 1920 और दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत सक्षम दिवाला अदालत द्वारा दिवालिया घोषित व्यक्ति संसद या विधानसभा का चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं.