Lok Sabha elections 2024: लोकसभा चुनाव (2024) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए रणनीति बनाने को लेकर 23 जून को विपक्षी दल बिहार की राजधानी पटना में बैठे थे. इसमें 15 विपक्षी दलों ने एकता दिखायी थी. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार व तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन यानी छह सीएम बैठक में शरीक हुए. उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, महबूबा मुफ्ती समेत पांच पूर्व मुख्यमंत्री इस महाजुटान में शामिल हुए. कांग्रेस से राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खगड़े भी मौजूद थे. सवाल ये है कि 2024 लोकसभा चुनाव तक पश्चिम बंगाल, यूपी व पंजाब की चुनौतियों के बीच क्या विपक्षी दलों की ये एकता दिखेगी?
महाजुटान में ये चेहरे नहीं थे शामिल
बिहार की राजधानी पटना में आयोजित विपक्षी पार्टियों के महाजुटान में के चंद्रशेखर राव, बसपा की मायावती, बीजद के नवीन पटनायक, जद (एस) के एचडी देवेगौड़ा और वाईएसआरसीपी के वाईएस जगन मोहन रेड्डी शरीक नहीं हुए थे. हालांकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की मानें, तो 2024 के लोकसभा चुनाव के वक्त और कई दल उनके साथ होंगे. पीएम मोदी व बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखायी है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं.
इन राज्यों में ये हैं चुनौतियां
पश्चिम बंगाल की बात करें, तो पंचायत चुनाव में सीएम व टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को कांग्रेस व सीपीआई से सीधी टक्कर मिल रही है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के संबंध हाल में यूपी में कांग्रेस के साथ काफी मधुर नहीं रहे हैं और जहां तक बात पंजाब की है, तो वहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ हैं. हालांकि पटना की बैठक में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस से कहा था कि उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए. हर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी को लड़ाई का नेतृत्व करना चाहिए. अन्य दलों को उसका समर्थन करना चाहिए.