Lok Sabha: विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन जरूरी
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित ’LiFE’, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने का आग्रह किया और कहा कि बेहतर भविष्य के लिए यही एकमात्र समाधान है.
Lok Sabha: जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है. जलवायु परिवर्तन दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित मिशन ‘LiFE’ पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली के साथ इस चुनौती से निपटने में सक्षम है. भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर एक ओर जहां जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए अभियान चलाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है,
वहीं दूसरी ओर वन उत्पादों का उपयोग वैज्ञानिक रीति से किया जाये और उसका उचित मूल्य दिया जाये यह भी जिम्मेदारी है. संसद भवन परिसर में भारतीय वन सेवा के 2023-25 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए ‘संसदीय पद्धति और प्रक्रिया’ विषय पर आयोजित पांच दिवसीय पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उक्त बातें कहीं. इस पाठ्यक्रम का आयोजन लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध और प्रशिक्षण संस्थान (PRIDE) द्वारा किया जा रहा है.
मिशन LiFE का लक्ष्य
जिंदगी(LiFE) का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में ग्लासगो में 26 वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) के दौरान पेश किया था. यह विचार पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवनशैली को बढ़ावा देता है जो ‘विचारहीन और बेकार उपभोग’ के बजाय ‘सचेत और सोच समझकर उपयोग’ पर केंद्रित है. मिशन की योजना व्यक्तियों का एक वैश्विक नेटवर्क बनाने और उसका पोषण करने की है, जिसका नाम ‘प्रो-प्लैनेट पीपल’ (P3) है, जो पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता रखेंगे.
P3 समुदाय के माध्यम से, मिशन एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करता है जो पर्यावरण के अनुकूल व्यवहारों को सुदृढ़ और सक्षम बनाएगा ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें. मिशन LiFE अतीत से प्रेरणा लेता है, वर्तमान में काम करता है और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करता है. रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल ऐसी अवधारणाएं हैं जो हमारे जीवन में समाहित हैं. सर्कुलर इकोनॉमी हमारी संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न अंग रही है.
जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की चुनौती
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय वन सेवा (IFoS) पर जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए अभियान चलाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से देश के वन क्षेत्र का विस्तार करने और वन्यजीवों की रक्षा करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि संसद में वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण असंतुलन से संबंधित मुद्दों पर नियमित रूप से चर्चा होती है. उन्हें विश्वास है कि आत्मविश्वास, नए विचारों और तकनीक से सम्पन्न युवा अधिकारी इन चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को संसद में पारित कानूनों का अध्ययन करने और नयी चुनौतियों से निपटने के तरीकों को समझने की सलाह दी. इस अवसर पर लोक सभा के महासचिव, उत्पल कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया. लोक सभा सचिवालय में संयुक्त सचिव, गौरव गोयल ने धन्यवाद ज्ञापित किया. इस कार्यक्रम में भारतीय वन सेवा के 112 प्रशिक्षु अधिकारी में से 22 महिला और 90 पुरुष प्रशिक्षु शामिल हुए. रॉयल भूटान सेवा के दो अधिकारी भी इस पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण ले रहे हैं.