लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाली संसद में इन दिनों शीतकालीन सत्र चल रहा है. केंद्र सरकार और विपक्ष द्वारा सवाल-जवाब का सिलसिला जारी है. अगर आप संसद के कार्यवाही को टीवी पर देखते हैं, तो आपको लोकसभा और राज्यसभा में कई अंतर दिखते हैं. सबसे पहले आपके मन में रंगों को लेकर सवाल उठते होंगे. आखिर क्यों लोकसभा और राज्य सभा के चेयर्स और कारपेट हरे और लाल रंग में नजर आते हैं. तो चलिए जानते हैं संसद के अंदर की कुछ रोचक बातें.
जैसा की हम जानते हैं वर्तमान संसद भवन का निर्माण अग्रेजों द्वारा करवाया गया था. तब इस भवन का नाम काउंसिल हाउस सुझाया गया था. भवन में मुख्य रूप से तीन कक्ष स्थापित किए गए थेे, जिन्हें आजादी के बाद भारत सरकार द्वारा बदला गया. बताते चले कि तीन कक्षों में सबसे पहले कक्ष राज्य परिषद था, जिसे आजादी के बाद राज्यसभा कहा गया. इसके बाद वैधानिक सभा, जोकि आज लोकसभा के नाम से जाना जाता है. वहीं, एक तीसरा सदन था, जो बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता था. तीसरे सदन में राजाओं की कार्रवाही होती थी. तीसरे सदन को भारत सरकार ने देश का सबसे बड़ा पुस्तकालय बना दिया है.
बताते चले कि एक ही भवन के भीतर राज्य सभा और लोकसभा दोनों मौजूद हैं. दोनों की दूरी बस चंद कदमों की है. हमें टीवी में दोनों सदन गोलाकार दिखाई देते हैं. लेकिन दोनों अलग अलग नजर आते हैं. लोकसभा में हमें कारपेट से लेकर कुर्सियां तक हरे रंग में नजर आती है. वहीं, राज्यसभा में हमें यह लाल रंग (रेड) का दिखता है. यह कोई संयोग नहीं है. दोनों संदनों के रंग को सोच विचारकर रखा गया है.
लोकसभा में नेता सिधे जनता से चुनकर भेजे जाते हैं. इसलिए इस सदन को जनता का प्रतिनिधित्व के तौर पर देखा जाता है. चूंकि भारत लोकतांत्रिक देश हैं. इसके साथ ही भारत को कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है, इसलिए लोकसभा को जमीन से जुड़े हुए प्रतिक के तौर मानते हुए इसे हरे रंग में रखा गया है.
राज्य सभा को देश का उच्च सदन कहा जाता है. इस सदन में प्रतिनिधि सीधे तौर चुनकर नहीं, बल्कि राज्य के प्रतिनिधियों द्वारा चुनकर भेजे जाते हैं. राज्य सभा को राजसी सदन भी कहा जाता है. क्योकि लाल रंग राजसी का प्रतीक रहा है, इसलिए राज्यसभा को लाल रंग में हम देखते हैं. इसके अलावा देश आजादी और सेवा में जान गंवाने वाले वीर जवानों के बलिदान को भी लाल रंग का प्रतिक माना गया है.