नयी दिल्ली : प्रश्नकाल को लेकर राजनीतिक पार्टियों की नाराजगी को लोकसभा सचिवालय ने दूर करने की कोशिश की है. प्रश्नकाल कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे की वजह से रोका गया है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल होगा.
मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा. राजनीतिक पार्टियां इसे लेकर अलग- अलग प्रतिक्रिया दे रही हैं इस मामले पर लोकसभा सचिवाल ने बयान जारी कर विवाद को कम करने की कोशिश की है. लोकसभा सचिवालय ने कहा, यह फैसला लिया गया है कि प्रश्नकाल को अस्थायी तौर पर नहीं किया जाये, क्योंकि देश में इस वक्त कोरोना सक्रमण का खतरा है.
वायरस की वजह से हम अधिकारियों की भारी संख्या को गैलरी में जमा होने से रोकना चाहते है. प्रश्नकाल चलता है तो बहुत सारे अधिकारी जमा हो जाता है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इस वक्त सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना अनिवार्य है.
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एक या दो दिन के लिए प्रश्नकाल को रोकना संवैधानिक तौर पर 18 दिनों तक के लिए प्रश्नकाल को रोकने से बिल्कुल अलग है. यह फैसला सिर्फ मॉनसून सत्र के लिए लिया गया है और सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विंटर सेशन में प्रश्नकाल होगा.
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने संसद के आगामी मानसून सत्र में प्रश्नकाल के निलंबन को लेकर बृहस्पतिवार को सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि यह विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास है . मुख्य विपक्षी कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि प्रश्नकाल का निलंबन करके लोकतंत्र का गला घोटने और संसदीय प्रक्रिया को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी. हम इसका संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह पुरजोर विरोध करेंगे. ” बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद कुंवर दानिश अली ने प्रश्नकाल निलंबित किए जाने के फैसले को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि यह नए भारत की ‘डरावनी तस्वीर’ है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ट्वीट करें तो अवमानना…, सड़क पर सवाल करें तो देशद्रोह… . देश की सबसे बड़ी पंचायत बची थी जनता के सवालों को उठाने के लिए.
Posted By – Pankaj Kumar pathak