‘सदस्यों के मर्यादित आचरण से बढ़ती है सदन की प्रतिष्ठा’, गोवा के विशेष सत्र में बोले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
गोवा विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 75 वर्षों की लोकतांत्रिक यात्रा में भारत ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य , इंफ्रास्ट्रक्टर जैसे क्षेत्रों में देश ने लंबी छलांग लगाई है, जिसका सीधा असर जनमानस के जीवन पर पड़ा है.
गोवा : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को गोवा विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया. यह सत्र ‘विकसित भारत 2047 : जन प्रतिनिधियों की भूमिका ‘ विषय पर आयोजित किया गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एक दिवसीय दौरे पर गोवा आए हुए हैं. इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत, गोवा विधान सभा अध्यक्ष रमेश तावड़कर, गोवा सरकार के मंत्री और विधानसभा सदस्यों समेत कई गण्यमान्य व्यक्ति मौजूद रहे.
75 साल में भारत ने हासिल की अनेक उपलब्धियां
गोवा विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 75 वर्षों की लोकतांत्रिक यात्रा में भारत ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य , इंफ्रास्ट्रक्टर जैसे क्षेत्रों में देश ने लंबी छलांग लगाई है, जिसका सीधा असर जनमानस के जीवन पर पड़ा है. इस यात्रा में विधायी संस्थाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है और वे लगातार सशक्त हुई हैं. उन्होंने कहा कि आज देश में एक कुशल नेतृत्व है और मेहनती लोग हैं, जिनके बल पर देश लगातार तरक्की कर रहा है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि 2047 तक विकसित भारत बनाने का सपना अवश्य पूरा होगा.
पंचायत से संसद तक सभी विधायी संस्थाओं का क्या है दायित्व
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक सभी विधायी संस्थाओं का दायित्व है कि वे जनता की समस्याओं को कार्यपालिका तक प्रभावी रूप से पहुंचाएं. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमारी विधायिकाओं में चर्चा और संवाद का उच्चस्तर हो तथा विधायिकाओं की कार्यवाही शांति एवं गरिमा के साथ चले. यह विचार व्यक्त करते हुए कि संसदीय लोकतंत्र में असहमति व्यक्त करने के पर्याप्त मार्ग हैं, बिरला ने कहा कि सदन के अंदर यदि शालीनता से असहमति व्यक्त की जाए, तो इससे देश और भारतीय लोकतंत्र की प्रतिष्ठा बढ़ती है. उन्होंने सुझाव दिया कि जनप्रतिनिधि जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को सदन में आवाज दें, जिससे उनकी परेशानिओं का हल निकल सके. उन्होंने आगे कहा कि सदन के अंदर मर्यादित व्यवहार से सदन की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.
कानूनी प्रस्तावों पर हो व्यापक बहस
कानून निर्माण की प्रक्रिया में सदस्यों की समुचित भागीदारी का जिक्र करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओग बिरला ने कहा कि सरकार की लाए गए कानूनी प्रस्तावों पर व्यापक बहस होनी चाहिए. इस चर्चा में हमारा यही उद्देश्य हो कि उनका आम जनमानस के जीवन पर क्या असर पड़ेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि कानूनों पर जितनी व्यापक चर्चा होगी, उतने ही प्रभावी कानून बनेंगे. उन्होंने आगे कहा कि बदलते परिप्रेक्ष्य में विधायिका से आमजन की आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं. लेकिन, साथ ही जनता की आवश्यकताएं उससे भी ज्यादा बढ़ी हैं. इसके लिए यह जरूरी है कि हम अपनी प्राथमिकताएं तय करें और उन्हें पूरा करने का पूर्ण प्रयास करें. उन्होंने विचार व्यक्त किया कि समकालीन समय में जनता की मांग है कि सदन के माध्यम से उनकी आकांक्षाएं पूर्ण हों, उनकी समस्याओं का समाधान हो. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि के रूप में यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम जनता के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए निरन्तर कार्य करें तथा उनकी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए प्रयासरत रहें.
महासंकल्प की कैसे होगी सिद्धि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस महासंकल्प की सिद्धि तभी संभव है जब देश का प्रत्येक नागरिक और देश की सभी संस्थाएं, जिनमें देश की निर्वाचित संस्थाएं शामिल हैं. इसके लिए समर्पित भाव से सामूहिक प्रयास करें. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस संकल्प की सिद्धि में देश की विधायी संस्थाओं को अग्रणी भूमिका निभानी होगी.
जनता और विधायिका की दूरी कम हो
इस बात पर बल देते हुए कि सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीकी के समुचित उपयोग से जनता और विधायिका के बीच की दूरी कम करनी होगी उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में जनता का भरोसा है, लेकिन इसमें जनता कि भागीदारी भी सशक्त होनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि देश की सभी विधानसभाओं को टेक्नोलॉजी का अधिकतम इस्तेमाल करना होगा. साथ ही विधानसभा के सदस्यों के क्षमता निर्माण की उचित व्यवस्था, विधि निर्माण में उनकी सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करेगा, जिससे विधि निर्माता अपनी अपनी विधायिकाओं को सर्वश्रेष्ठ बना सकेंगे. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि जितना अपने ज्ञान और क्षमताओं का संवर्धन करेंगे, उतना ही वे लोकहित के कार्य कर सकेंगे. उन्होंने एक ऐसी राजनीतिक संस्कृति का निर्माण करने पर बल दिया, जिसके मूल में जनहित, सरोकार और सेवाभाव हो.
गोवा विकास की राह पर
गोवा विधानसभा के शानदार इतिहास का उल्लेख करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा की गोवा के सामाजिक आर्थिक विकास और लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. सभा द्वारा बनाये गए अनेकों लोकोन्मुखी कानूनों के बल पर आज गोवा विकास की राह पर है और संपूर्ण विश्व में यह राज्य टूरिस्ट अट्रैक्शन के रूप में उभरा है. राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर के तीव्र विकास का जिक्र करते हुए उन्होंने राज्य सरकार के विजन और प्रयासों की प्रसंशा की.
सीएम सावंत ने दी बधाई
इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत ने अपने संबोधन में सर्वप्रथम नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह उनका दृढ़ विश्वास है कि नई संसद देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए अमृत काल का उपहार सिद्ध होगी. उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चाओं, सहमति, असहमति और एकजुट भावना की समृद्ध परंपरा और विरासत रही है. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज आदि जैसे दिग्गज नेताओं का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि इन प्रेरणादायी नेताओं ने अपने कार्यों से सदन की गरिमा को बढ़ाया है.
2047 विकसित भारत का सपना होगा पूरा
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए राष्ट्र के लिए व्यापक रोडमैप के संदर्भ में डॉ सावंत ने कहा कि यह ऐसी महाकल्पना है जिससे सन में 2047 विकसित भारत का सपना पूरा होगा. उन्होंने आगे कहा कि विकसित भारत 2047 की इस अवधारणा में राष्ट्र की प्रगति के विभिन्न पहलुओं की भूमिका शामिल है. डॉ सावंत ने इस बात पर जोर दिया कि इस संकल्प को पूरा करने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और पंचायत से लेकर संसद तक सभी जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में प्रयत्न करने होंगे.
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अपने स्वागत भाषण में गोवा विधानसभा के अध्यक्ष रमेश तावड़कर ने कहा कि एक आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए और इसके लिए अन्य हितधारकों के साथ-साथ विधानमंडलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने सुझाव दिया कि कानून निर्माण की प्रक्रिया के दौरान उनके कार्यान्वयन और जनता पर उनके प्रभाव का भी अध्ययन आवश्यक है. उन्होंने कहा कि सभी विधायकों का यह कर्तव्य है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास कायम रखने में योगदान दें.