Love Jihad : लव जिहाद पर घिरी योगी और रावत सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब
लव जिहाद (love jihad) का मामला इन दिनों देश में गरमाया हुआ है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अंतरधार्मिक विवाह के नाम पर धर्मांतरण को रोकने के लिए लाए गए विवादास्पद कानूनों की समीक्षा करने पर राजी हो गया है.
लव जिहाद (love jihad) का मामला इन दिनों देश में गरमाया हुआ है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अंतरधार्मिक विवाह के नाम पर धर्मांतरण को रोकने के लिए लाए गए विवादास्पद कानूनों की समीक्षा करने पर राजी हो गया है. कोर्ट ने हालांकि अंतर धार्मिक विवाह के नाम पर धर्मांतरण को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लागू कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार किया.
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश में हाल ही में बने लव जिहाद कानून की वैधता को चुनौती देने का काम किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.
लव जिहाद को जानें : आपको बता दें कि ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल वैसी शादी के लिए किया जाता है, जिसमें कोई मुस्लिम पुरुष धर्मांतरण के इरादे से किसी महिला से शादी कर लेता है. इसे साथ ही वह उसका धर्म परिवर्तन कराने का काम करता है. साल 2009 में केरल और कर्नाटक के क्रमशः कैथोलिक और हिंदू समूहों ने आरोप लगाया था कि उनके समुदाय की महिलाओं का जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कराने का काम कुछ लोग कर रहे हैं. इस वाकये के बाद ‘लव जिहाद’ शब्द का पहली बार इस्तेमाल देखने को मिला. यहां चर्चा कर दें कि यह 2014 में उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के दौरान पहली बार प्रचलित हुआ, जब भाजपा इसे व्यापक तौर पर लोगों के बीच ले गई.
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यूपी और मध्य प्रदेश की सरकार ने की पहल : उल्लेखनीय है कि जहां उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून को बने हुए एक महीना बीत चुका है. वहीं कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट ने ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए सख्त कानून ‘धर्म स्वतंत्र’ विधेयक को राज्य में अध्यादेश के तौर पर लागू करने की मंजूरी देने का काम किया है. उत्तराखंड में भी धर्मिक स्वतंत्रा कानून 2018 से ही लागू है. 2018 में अस्तित्व में आए ‘उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता कानून’ के तहत दर्ज राज्य का यह पहला मामला दिसंबर के महीने में देखने को मिला.
Supreme Court issues notice to Uttar Pradesh and Uttarakhand after hearing a petition challenging the laws brought by the two state governments to check unlawful religious conversions pic.twitter.com/AJRhqNFOjO
— ANI (@ANI) January 6, 2021
भाजपा शासित राज्य हैं ये : उपरोक्त तीनों राज्यों पर नजर डालें तो ये भाजपा शासित राज्य हैं. यही वजह है कि विपक्ष इस कानून का लगातार विरोध करता रहा है.
Posted By : Amitabh Kumar