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Lampi Virus: देशभर में कहर मचा रहा लंपी वायरस, जानिए क्या है इसके लक्षण और बचाव के तरीके

Lampi Virus: राजधानी दिल्ली में भी लंपी वायरस का कहर देखने को मिल रहा है. दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में मवेशियों में लंपी त्वचा रोग के 173 मामले सामने आये, अधिकतर मामले दक्षिण और पश्चिमी दिल्ली जिलों से हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2022 1:42 PM

Lampi Virus: कोरोना वायरस का संकट अभी पूरी तरह से नहीं टला है. इसी बीच एक और वायरस ने देश में दस्तक दे दी है. इस घातक वायरस की चपेट में अभी तक हजारों मवेशी आ चुके है. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 50 हजार से अधिक गाय-भैंस की मौत इस वायरस की वजह से हो चुकी है, वहीं लाखों लंपी वायरस की चपेट में आ चुके है. इस वायरस का कहर सबसे ज्यादा राजस्थान में देखने को मिल रहा है. इससे बचाव के लिए सरकार के तरफ से कई जरूरी कदम उठाए जा रहे है.

तैयार नहीं हुआ है वायरस का एंटीडोज!

सूत्रों की मानें तो इस जानलेवा वायरस का एंटीडोज अभीतक तैयार नहीं हुआ है जिस कारण बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हुई है. इस स्किन डिजीज को ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ भी कहा जाता है. वहीं, शार्ट में LSDV कहा जाता है. यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक पशु से दूसरे पशु को होती है. विशेषज्ञों ने बताया कि यह बीमारी Capri Poxvirus नामक वायरस के चलते होती है.

राजधानी दिल्ली में भी लंपी वायरस का कहर

राजधानी दिल्ली में भी लंपी वायरस का कहर देखने को मिल रहा है. दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में मवेशियों में लंपी त्वचा रोग के 173 मामले सामने आये, अधिकतर मामले दक्षिण और पश्चिमी दिल्ली जिलों से हैं. साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि लंपी त्वचा रोग से ग्रसित अवारा पशुओं को अलग रखने के लिए दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के रेवला खानपुर में पृथकवास वार्ड स्थापित किए जा रहे हैं. बता दें कि इस वायरस का कहर गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अधिक फैला हुआ है.

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लंपी स्किन डिजीज के प्रमुख लक्षण और बचाव

लंपी स्किन डिजीज के प्रमुख लक्षण पशु को बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर दाने निकलना, दूध कम देना और भूख नहीं लगाना है. इसके बचाव के लिए ध्यान देना है कि संक्रमित पशु को अलग रखा जाए. साथ ही तबेले की साफ सफाई, मच्छरों को भगाने के लिए स्प्रे करते रहने से इस वायरस से बचाव किया जा सकता है. साथ ही संक्रमित पशु को गोट पॉक्स वैक्सीन लगवाएं और पशुओं को चिकित्सक की सलाह पर दवा दिया जा सकता है.

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