दिल्ली में भी पशुओं को बीमार करने वाले लंपी वायरस ने दिया दस्तक, अब तक 173 मामले दर्ज

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहला मामला लगभग आठ से 10 दिन पहले दर्ज किया गया था और अब तक किसी मवेशी की मौत की सूचना नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार वलयाकार टीकाकरण रणनीति पर अमल करेगी, जिसके तहत पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी स्वस्थ मवेशियों को भी गॉट पॉक्स टीका लगाया जाएगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2022 7:53 PM
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नई दिल्ली : भारत के राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश के बाद अब पशुओं को गंभीर बीमारी के मुंह में धकेलने वाले संक्रामक लंपी के वायरस ने अब दिल्ली में भी दस्तक दे दिया है. दिल्ली में अब तक लंपी से ग्रस्त पशुओं को करीब 173 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से अधिकतर मामले दक्षिण और पश्चिमी जिलों में मिले हैं. हालांकि, दिल्ली में लंपी से अब तक किसी मवेशी की मौत की सूचना नहीं है.

8-10 दिन पहले सामने आया था पहला मामला

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहला मामला लगभग आठ से 10 दिन पहले दर्ज किया गया था और अब तक किसी मवेशी की मौत की सूचना नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार वलयाकार टीकाकरण रणनीति पर अमल करेगी, जिसके तहत पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी स्वस्थ मवेशियों को भी गॉट पॉक्स टीका लगाया जाएगा. इस टीके में लंपी वायरस के उत्तरकाशी स्वरूप का निष्क्रिय रूप मौजूद है.

पशुओं में कैसे फैलता है लंपी का संक्रमण

बता दें कि लंपी एक संक्रामक बीमारी है, जो मवेशियों के संक्रमित मच्छरों, मक्खियों, जूं और ततैया के सीधे संपर्क में आने से फैलती है. इसके अलावा, दूषित भोजन और पानी के सेवन से भी मवेशी इस संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. लंपी वायरस के संक्रमण के कारण मवेशियों को बुखार होने के साथ-साथ उनके शरीर में गांठें पड़ जाती हैं. यह बीमारी जानलेवा हो सकती है.

भारत के आधा दर्जन राज्यों में फैला लंपी का वायरस

केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, लंपी वायरस गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में फैल चुका है. इस वायरस के कारण देश में गुरुवार तक लगभग 57,000 मवेशियों की मौत हो चुकी है. लंपी वायरस के संक्रमण का मामला सबसे पहले राजस्थान में आया था. बताया जा रहा है कि भारत में लंपी के वायरस का संक्रमण पाकिस्तान से प्रवेश किया है.

दिल्ली में चार स्थानों पर लंपी का संक्रमण

दिल्ली के पर्यावरण एवं विकास मंत्री गोपाल राय ने मीडिया से बातचीत में बताया कि गोयला डेयरी क्षेत्र में लंपी वायरस संक्रमण के 45, रेवला खानपुर में 40, घुमानहेड़ा में 21 और नजफगढ़ में 16 मामले सामने आए हैं. राय ने मवेशियों के मालिकों से लंपी के लक्षण वाले मवेशियों को अलग रखने की व्यवस्था करने को कहा है. लंपी के लक्षणों में पशुओं में तेज बुखार, दूध उत्पादन में कमी, त्वचा में गांठें पड़ना, भूख न लगना, नाक से पानी निकलना और आंखों में पानी आना शामिल हो सकता है। राय ने बताया कि लोगों को डर है कि यह वायरस इनसानों में भी फैल सकता है. उन्होंने कहा कि हमें सावधानी बरतने की जरूरत है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस से अब तक मनुष्यों में किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई है.

दो मोबाइल क्लीनिक शुरू

मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली सरकार ने दो मोबाइल पशु चिकित्सा क्लीनिक स्थापित किए हैं और मवेशियों के नमूने एकत्र करने के लिए 11 त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने लंपी से संबंधित प्रश्नों के जवाब देने के लिए हेल्पलाइन नंबर 8287848586 जारी करने के साथ एक विशेष नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया है. राय ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के रेवला खानपुर में लंपी से संक्रमित मवेशियों के लिए एक पृथकवास केंद्र बनाया जा रहा है.

दिल्ली में तेजी से संक्रमण फैलने का खतरा कम

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 40 लावारिस मवेशियों में लंपी वायरस संक्रमण पाया गया है, जिन्हें पृथकवास केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि पृथकवास में 4,500 मवेशी रह सकते हैं. पृथकवास केंद्र स्वस्थ मवेशियों के रहने के स्थान से थोड़ा दूर बनाया गया है और वहां मच्छरदानी लगाई गई है. अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली में अन्य राज्यों में सामने आए मामलों के अनुपात में इस रोग के फैलने की आशंका नहीं है, क्योंकि यहां मामलों की संख्या कम और प्रबंधन योग्य है. हमने मामले सामने आते ही तुरंत कार्रवाई करते हुए लंपी के प्रसार को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं.

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उचित देखभाल से कम हो जाता है पशुओं की मौत का खतरा

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि लंपी वायरस ज्यादातर मामलों में मवेशियों की मौत का कारण नहीं बनता और इससे मृत्यु दर सिर्फ एक से दो फीसदी है. उन्होंने बताया कि राजस्थान और गुजरात में मवेशियों की मौत का कारण खराब स्वास्थ्य और अन्य संक्रमण का विकास हो सकता है. अधिकारी ने कहा कि अगर संक्रमित मवेशियों को पृथक कर दिया जाता है और उनकी उचित देखभाल की जाती है, तो मौत होने का खतरा कम ही रहता है. घावों पर नियमित रूप से कीटाणुनाशक दवाएं लगाई जानी चाहिए.

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