Infant Mortality Rate: शहर से लेकर गांव तक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार के बाद 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी तो आयी है, लेकिन भारत जैसे अन्य देशों से तुलना करेंगे, तो हमारी स्थिति अब भी बहुत बुरी है. देश में 1000 में से 39 बच्चे 5 साल की उम्र के बाद जीवित नहीं रहते. भारत के कई राज्यों में यह स्थिति और भी बुरी है. खासकर मध्यप्रदेश, असम और ओड़िशा में. ये तीन राज्य ऐसे हैं, जहां 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 50 से 55 के बीच है. वर्ल्ड बैंक की हालिया रिपोर्ट से ये तथ्य सामने आये हैं.
नीति आयोग की ओर से प्रकाशित की गयी वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यप्रदेश में 5 साल से कम उम्र के सबसे ज्यादा 55 बच्चों की मौत होती है, जबकि असम में 52 और ओड़िशा में 50 बच्चे दम तोड़ देते हैं. इससे पहले असम और मध्यप्रदेश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 62 थी. झारखंड ने इस मामले में काफी सुधार किया है, जबकि बिहार को अभी बहुत सुधार करने की जरूरत है. बिहार में अब भी यह दर 43 फीसदी है, जो राष्ट्रीय दर से 4 फीसदी अधिक है.
राजस्थान में 45, उत्तर प्रदेश में 47, छत्तीसगढ़ में 49 फीसदी बच्चे 5 साल की उम्र से पहले काल के गाल में समा जाते हैं. उत्तराखंड में 41, आंध्रप्रदेश में 37, हरियाणा में 37, तेलंगाना में 34, गुजरात में 33, कर्नाटक में 29, हिमाचल प्रदेश में 27, पश्चिम बंगाल में 27, जम्मू एवं कश्मीर में 26, पंजाब में 24, महाराष्ट्र में 21, तमिलनाडु में 19 और केरल में मात्र 11 बच्चों की इस उम्र में मौत होती है. यानी केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र छोटे बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य की व्यवस्था कर ली है. पहले से बेहतर इन राज्यों ने अपने यहां व्यवस्था में और सुधार किया है.
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि भारत के बड़े राज्यों ने 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने में सफलता पायी है. लेकिन, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड दो ऐसे राज्य हैं, जहां इस मामले में वृद्धि हुई है, जो चिंताजनक है. उत्तराखंड में पहले 1000 बच्चों में से 38 बच्चों की मौत होती थी, जो अब बढ़कर 41 हो गयी है. इसी तरह छत्तीसगढ़ में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 48 से बढ़कर 49 हो गयी है.
असम और मध्यप्रदेश दो ऐसे राज्य थे, जहां यह दर 62 थी. इन दोनों राज्यों ने काफी मेहनत के बाद इस आंकड़े को प्रभावी तरीके से कम किया. अभी और प्रयास किये जाने की जरूरत है. देश की सेहत सुधारने के लिए सरकार ने नीति आयोग के माध्यम से राज्यों की रैंकिंग शुरू की है. राज्यों को मौका दिया जाता है कि साल दर साल अपनी रैंकिंग में सुधार करें. स्वास्थ्य से जुड़े कई मामलों में बिहार अब भी बहुत पीछे रह गया है. इसके विपरीत बिहार से अलग होकर बना राज्य झारखंड तेजी से सुधार में जुटा हुआ है और विकसित राज्यों के साथ कदमताल करने की कोशिश कर रहा है.
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केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और पंजाब ही ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने सरकार की ओर से दिये गये लक्ष्य को हासिल किया. यहां 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 25 या उससे कम है.