मध्यप्रदेश में 3000 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया. कोरोना संक्रमण के इस दौर में जहां डॉक्टरों की जरूरत ज्यादा है. बेहतर इलाज की आवश्यकता है डॉक्टरों ने यह बड़ा फैसला लिया है. डॉक्टरों ने यह फैसला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के उसे फैसले के बाद लिया जिसमें उन्हें हड़ताल तोड़कर 24 घंटे के भीतर काम पर वापस लौटने का आदेश दिया गया था.
इस फैसले के बाद तीन दिन से हड़ताल पर रहे छह सरकारी मेडिकल कॉलेज ( भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर एवं रीवा ) के जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. इस संबंध में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद मीणा ने बताया कि छह मेडिकल कॉलेजों के करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों के डीन को इस्तीफा सौंप दिया है.
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सही समय पर परीक्षा ना होने को लेकर डॉक्टरों ने यह फैसला लिया है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने तीसरे वर्ष के जूनियर डॉक्टर्स का इनरोलमेंट रद्द करने का फैसला ले लिया है. वह परीक्षा में कैसे बठेंगे. स्नातकोत्तर (पीजी) कर रहे जूनियर डॉक्टर्स को तीन साल में डिग्री मिलती है और दो साल में डिप्लोमा मिल जाता है ऐसे में यह फैसला उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है.
जूनियर डॉक्टर अपनी छह मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं. इन सारे वादों को पूरा करने का दावा राज्य सरकार ने किया था लेकिन 6 मई को ही सरकार ने सहमति जतायी थी लेकिन इस पर कुछ फैसला नहीं हुआ जिसके बाद डॉक्टर्स ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया.
सरकार के इस फैसले के बाद जूनियर डॉक्टरों ने दबाव बनाने के उद्देश्य से इस्तीफा देने का ऐलान किया है. दूसरी तरफ कोर्ट डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर सख्त है. डॉक्टर्स का दावा है कि वह हाईकोर्ट के इस फैसले को बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे.
मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन एवं फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का भी इस पूरे मामले पर साथ होने का दावा जूनियर डॉक्टर्स कर रहे हैं उन्होंने यह भी कहा कि कई राज्यों के डॉक्टर भी हमारा साथ दे रहे हैं.