मध्य प्रदेश की एक अदालत ने वन विभाग के अधिकारी को तीेन साल की सजा सुनार्ई है. दरअसल, उमरिया जिले के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य (बीटीआर) में एक बाघिन की मौत के मामले में आईएएस अधिकारी को फंसाने की कोशिश करने का दोषी ठहराते हुए वन विभाग के अधिकारी को अदालत ने दोषी ठहराया है. बता दें कि 19 मई 2010 को अपने तीन शावकों तक पहुंचने के लिए सड़क पार कर रही बाघिन को एक वाहन ने टक्कर मार दी थी.
मध्य प्रदेश कोर्ट ने ठहराया दोषी
अदालत ने वन अधिकारी को दोषी ठहराया है. मानपुर न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) सतीश शुक्ला ने मामले में पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) सी.के. पाटिल और तीन अन्य को एक वनकर्मी के अपहरण और उस पर जिला पंचायत के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी अक्षय सिंह को फंसाने के लिए दबाव बनाने का दोषी पाया. याचिकाकर्ता मान सिंह के वकील अशोक वर्मा ने शनिवार को कहा कि बीटीआर के तत्कालीन क्षेत्र निदेशक पाटिल को भादवि की धारा 195ए (एक व्यक्ति को झूठी गवाही देने की धमकी देना) और 342 के तहत दोषी पाया गया.
कोर्ट ने पांच हजार का लगाया जुर्माना
याचिकाकर्ता मान सिंह के वकील अशोक वर्मा ने बताया कि पाटिल पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. इसके साथ ही मामले में अनुविभागीय अधिकारी डीसी घोरमारे और रेंजर राजेश त्रिपाठी और रेंजर रेगी राव को भी दोषी ठहराया गया है. वर्मा ने कहा कि घोरमारे, त्रिपाठी और राव को छह महीने जेल की सजा और प्रत्येक पर 500 रुपये जुर्माना भी लगाया गया है.
वन विभाग के चालक को झूठी गवाही के लिए किया बाध्य
अशोक वर्मा ने कहा कि अदालत ने कहा कि उनके मुवक्किल मान सिंह (वन विभाग के एक चालक) को गलत तरीके से फंसाने के लिए पंचायत सीईओ अक्षय सिंह के खिलाफ झूठी गवाही देने के लिए बाध्य किया गया. उन्होंने कहा कि गवाहों के बयानों और रिकॉर्ड में पेश सामग्री के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया गया.
(भाषा- इनपुट के साथ)