Kuno National Park: भारत सरकार ने पहली बार करीब तीन साल पहले दक्षिण अफ्रीका से देश में चीतों को लाने का विचार रखा था और अब 18 फरवरी को ये चीते भारत पहुंचेंगे. भारत की चीतों को अपने देश ले जाने की योजना को एक बार स्थगित करना पड़ा था और लिम्पोपो प्रांत के एक अभयारण्य में इन चीतों को पृथकवास में रखा गया था.
दक्षिण अफ्रीका में ‘चीता मेटापोपुलेशन’ के समन्वयक विंसेंट वान डेर मेरवे ने बताया कि- जनवरी 2020 में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को प्रायोगिक तौर पर दक्षिण अफ्रीकी चीतों को भारत में एक अनुकूल आवास में रखने की अनुमति दी थी ताकि यह देखा जा सके कि वे यहां के माहौल में ढल सकते हैं या नहीं. यह फैसला राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें नामीबिया से दक्षिण अफ्रीकी चीतों को देश में लाने की अनुमति का अनुरोध किया गया था. पड़ोसी नामीबिया से आठ चीते पिछले साल सितंबर में भारत भेजे गए थे. इस फैसले के एक महीने बाद एनटीसीए एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने भारत में चीतों को लाने के संबंध में प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में पशु चिकित्सा विज्ञान संकाय के डॉ. लीथ मेयर और डॉ. एड्रियन टोर्डिफ से संपर्क किया.
टोर्डिफ ने जुलाई 2022 में डब्ल्यूआईआई को वान डेर मेरवे के संपर्क में बनाए रखा, जिसके बाद चीता स्थानांतरण के पहले प्रयास के तहत दक्षिण अफ्रीका के मत्स्य पालन, वानिकी और पर्यावरण विभाग से भारत को 12 चीतों की आपूर्ति का अनुरोध किया गया. मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में 12 चीतों का दूसरा जत्था दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी को पहुंचेगा. भारत में चीतों को बसाने के योजना के तहत इससे पहले फरवरी में नामीबिया से आठ चीते केएनपी में लाए गए थे. भारत में परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने बताया कि सात नर और पांच मादा चीते भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान से दक्षिण अफ्रीका से हजारों मील दूर भारत में अपने नए घर के लिए यात्रा आज शाम को शुरु करेंगे.
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को 18 फरवरी को देश लाया जाएगा. महत्वाकांक्षी चीता पुनर्वास कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से आए पांच मादा एवं तीन नर समेत आठ चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन के अवसर पर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में एक बाड़े में पृथक-वास में छोड़ा था. अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में कुनो में ये आठ चीते तीन से चार दिन में शिकार कर रहे हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक है. उन्होंने कहा कि एक मादा चीते का स्वास्थ्य ठीक नहीं था क्योंकि उसका क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ गया था लेकिन उपचार के बाद अब उसकी स्थिति ठीक है. सीरम में क्रिएटिनिन के स्तर से किडनी के कामकाज और स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने में मदद मिलती है.
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने जनवरी में अफ्रीकी देश से चीतों को लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था और उन्हें कुनो में फिर से बसाया था. दुनिया के अधिकांश 7,000 चीते दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में रहते हैं. नामीबिया में चीतों की सबसे अधिक आबादी है. चीता एकमात्र ऐसा मांसाहारी जीव है जो मुख्यत: अत्यधिक शिकार एवं आवासन की कमी के कारण भारत से पूरी तरह से विलुप्त हो गया है. भारत में आखिरी चीता 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में मृत पाया गया था.
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा- फरवरी में इन 12 चीतों के आने के बाद अगले 8 से 10 साल में सालाना 12 चीतों को देश में लाने की योजना है. समझौता ज्ञापन की शर्तों की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए हर पांच साल में इसकी समीक्षा की जाएगी. भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तैयार ‘भारत में चीता पुनर्वास कार्य योजना’ के अनुसार, नयी चीता आबादी स्थापित करने के लिए आदर्श लगभग 12-14 चीते शुरुआती पांच साल के लिए और बाद में आवश्यकतानुसार दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से आयात किए जाएंग.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव 18 फरवरी को 12 चीतों को कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में उनके बाड़ों में छोड़ेंगे, इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से यहां भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान से लाया जा रहा है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इन 12 चीतों में 7 नर और 5 मादा हैं और कूनो आने वाले चीतों का यह दूसरा जत्था है. इससे पहले नामीबिया से आठ चीतों के पहले जत्थे को पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो के बाड़ों में छोड़ा था.
मध्यप्रदेश के वन बल (एचओएफएफ) प्रमुख रमेश गुप्ता ने बताया- वे 18 फरवरी की सुबह 11 बजे दक्षिण अफ्रीका से मध्यप्रदेश पहुंचेंगे. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव उन्हें बाड़ों में छोड़ेंगे. गुप्ता ने बताया कि ये 12 चीते जिनमें 7 नर और 5 मादा शामिल हैं, सुबह ग्वालियर पहुंचेंगे और सुबह 11 बजे केएनपी के बाड़ों में छोड़े जाएंगे. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस अवसर पर उपस्थित होने की संभावना है.
दक्षिण अफ्रीका से भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान से ग्वालियर पहुंचने के 30 मिनट बाद, इन चीतों को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों से केएनपी ले जाया जाएगा. भारत में अंतिम चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के तहत 2009 में भारत में चीतों को फिर से लाने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की थी.