ASI ने पूरा किया धार भोजशाला का सर्वेक्षण, हाई कोर्ट को सौंपी 2000 पन्नों की रिर्पोट, अब सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने धार स्थित भोजशाला की साइंटिफिक स्टडी पूरी कर ली है. ASI ने कुल 2000 पेज की रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है. यह सर्वेक्षण लगभग तीन महीने चला. इस मामले में हिंदू एवं मुस्लिम पक्ष ने अपने-अपने दावे किए हैं. अब मामले में हाई कोर्ट 22 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.
Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला का सर्वेक्षण रिर्पोट ASI ने सोमवार को हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ में पेश किया.यह सर्वेक्षण कुल 98 दिनों तक चला. जानकारी के मुताबिक सर्वे और खुदाई के दौरान मिले 1700 से अधिक प्रमाण इस रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं. सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट में भोजशाला के खंभों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति होने की बात कही गई. ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस सर्वे के दौरान भगवान कृष्ण, शिव, महादेव, ब्रह्मा समेत 94 देवी-देवताओं की मूर्ति मिली है.
22 मार्च से शुरू हुआ था सर्वेक्षण
भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश, ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने दी थी. कोर्ट के आदेश पर ASI ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण कार्य शुरू किया. सर्वेक्षण करने के लिए ASI को हाई कोर्ट की ओर से छह सप्ताह का समय मिला था. हालांकि समय पर सर्वेक्षण का काम पूरा नहीं होने के कारण एएसआई ने अतिरिक्त समय लिया. जानकारी के मुताबिक हाई कोर्ट इस मामले में अब 22 जुलाई को सुनवाई करेगा.
अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा मामला
इस विवाद में एक पक्ष हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस है. जिसके वकील एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इस मामले में ASI रिपोर्ट महत्वपूर्ण है. ASI की इस रिपोर्ट ने हमारे केस में हमारा पक्ष मजबूत किया है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के सामने हमने कहा था कि विवादित परिसर एक हिंदू मंदिर का है. इसका इस्तेमाल मस्जिद की तरह हो रहा है. 2003 में एएसआई ने जो आदेश पारित किया था, वह पूरी तरह गलत है. देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है. हमने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. हाईकोर्ट ने एएसआई को साइंटिफिक स्टडी के निर्देश दिए थे. 2000 पेज की रिपोर्ट में हमारा पक्ष मजबूत हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की कार्यवाही पर स्टे दे रखा है. इस वजह से हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं.