Madras High Court मद्रास उच्च न्यायालय ने ऑल इंडिया कोटा (AIQ) में चेन्नई राज्य के योगदान वाली सीटों में चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में 10 प्रतिशत आरक्षण (Reservations) को स्थानांतरित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इसी वर्ष जुलाई महीने के अंत में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने ओबीसी (OBC) के लिए 27 प्रतिशत मेडिकल सीटें और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित की थीं.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके (DMK) ने केंद्र सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के संकेत देते हुए एक याचिका दायर की थी. जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी. कहा गया कि सभी सीटें सरकारी कॉलेजों की हैं. डीएमके की ओर से दायर की गई इस याचिका पर सुनावई के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को यह फैसला सुनाया.
Madras High Court disallows 10% reservations in medical and dental courses in the state contributed seats to All India quota pic.twitter.com/vZjJLOIhi1
— ANI (@ANI) August 25, 2021
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 29 जुलाई को देश भर के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एडमिशन के लिए ऑल इंडिया कोटा में अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी और आर्थिक तौर पर कमजोर तबके यानि ईडब्लूएस के लिए आरक्षण को मंजूरी दे दी. नए नियम के तहत ओबीसी के छात्रों को 27 फीसदी और इडब्लूएस के छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. सरकार का दावा है कि एमबीबीएस (MBBS) सीटों पर 1500 ओबीसी और 550 इडब्लूएस केटेगरी के छात्रों को इसका लाभ मिलेगा.
बता दें कि राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए दो तरह ऑल इंडिया कोटा और स्टेट कोटा के नियम है. स्टेट कोटे में राज्य के मूल निवासी छात्रों को दाखिला मिलता था. वहीं ऑल इंडिया कोटे में राष्ट्रीय स्तर पर मेरिट लिस्ट के आधार पर अन्य राज्यों के छात्रों को भी दाखिला मिलता है. राज्यों के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में 15 फीसदी अंडर ग्रेजुएट सीटें और 50 फीसदी पोस्ट ग्रेजुएट सीटें ऑल इंडिया कोटे में रहती है. बाकी बची सीटें स्टेट कोटे में आती है. गौर हो कि ऑल इंडिया कोटा भी सुप्रीम कोर्ट के 1986 के फैसले से लागू हुआ था.