Maha Kumbh Stampede: महाकुंभ को सेना के हवाले क्यों नहीं किया? संतों ने प्रशासन पर उठाए सवाल

Maha Kumbh Stampede: प्रेमानंद पुरी ने दावा किया कि संतों ने शुरुआत से ही सरकार से इस मेले की सुरक्षा सेना को सौंपने की मांग की थी, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई.

By Aman Kumar Pandey | January 29, 2025 9:32 AM

Maha Kumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ की घटना के बाद सरकार और प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं. महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इतनी बड़ी भीड़ को संभालना पुलिस के वश की बात नहीं थी. उन्होंने कहा कि इस मेले की सुरक्षा को पहले ही सेना के हवाले कर देना चाहिए था. प्रेमानंद पुरी ने दावा किया कि संतों ने शुरुआत से ही सरकार से इस मेले की सुरक्षा सेना को सौंपने की मांग की थी, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई.

घटना के बाद जब महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात की, तो वह भावुक होकर रो पड़े. उन्होंने कहा कि अभी भी समय है, प्रशासन इस मेले को सेना के हवाले कर दे ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि इतनी बड़ी भीड़ के कारण पुलिस के लिए हालात को संभालना नामुमकिन हो गया था. उन्होंने अपने साथी संतों और भक्तों से अपील की कि वे संयम बरतें और भगदड़ को रोकने के लिए धीरे-धीरे अपने कैंपों में लौटें.

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इस बीच, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि भगदड़ की स्थिति के चलते जनहित में अखाड़ों ने मौनी अमावस्या के अमृत स्नान में हिस्सा न लेने का फैसला किया है. उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे आज के बजाय वसंत पंचमी पर स्नान के लिए आएं. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि संगम घाट पर जाने की बजाय जहां भी गंगा का पवित्र जल दिखे, वहीं स्नान कर लें.

रवींद्र पुरी ने प्रशासन का बचाव करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को संभालना किसी के लिए भी आसान नहीं है. उन्होंने लोगों से अधिकारियों के साथ सहयोग करने की अपील की और कहा कि ऐसे आयोजनों में सबकी जिम्मेदारी बनती है कि व्यवस्था बनाए रखें. महाकुंभ जैसी भव्यता को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाना सभी का कर्तव्य है.

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