नरेंद्र गिरि के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर चला आ रहा विवाद अब खत्म होता नजर आ रहा है. निरंजनी अखाड़े के साथ हुई बैठक में भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के उत्ताराधिकारी के रुप में बलबीर गिरि का चयन हुआ है वह अब बाघंबरी मठ की गद्दी संभालेंगे.
इस संबंध में औपचारिक ऐलान कर दिया गया. निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी ने इसकी औपचारिक घोषणा की है. पत्रकार वार्ता में महंत रविंद्रपुरी ने बताया कि बाघंबरी मठ में संचालन के लिए बोर्ड बनाया गया है.
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महंत रविंद्रपुरी ने कहा, बोर्ड अखाड़े के हित और मर्यादा में कार्य करवाने के लिए उन्हें यह जिम्मेदारी दी जा रही है. इसकी जिम्मेदारी पांच संतों पर होगी. गुरुवार को निरंजनी अखाड़े में अखाड़े के पंचों की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
बलबीर गिरि पिछले 15 सालों से नरेंद्र गिरि के शिष्य थे. बलबीर का रिश्ता उत्तराखंड से है और वहीं इन्होंने 2005 में संन्यास लेकर परिवार को छोड़ दिया. हरिद्वार पहुंचे तो नरेंद्र गिरि से दिक्षा ली और हरिद्वार में बिल्केश्वर महादेव मंदिर की देखरेख करने लगे.
बलबीर गिरि मीडिया से दूर रहते हैं. अपने गुरु के हर तरह के संस्कार में शामिल रहे महंत नरेंद्र गिरि ने 7 जनवरी 2010 को अपनी पहली वसीयत बनाई, जिसमें उन्होंने बलबीर को अपना उत्तराधिकारी बनाया था.
29 अगस्त, 2011 को उन्होंने दूसरी वसीयत बनायी जिसमें बलबीर का नाम उत्तराधिकारी पद से हटा दिया गया फिर 2020 में वसीयत बनायी जिसमें बलबीर गिरि का नाम जोड़ा गया. अपने कथित सुसाइड नोट में भी नरेंद्र गिरि ने बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाने की बात लिखी.
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गौरतलब है कि 20 सितंबर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि की मौत हो गयी. इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है. उनका शव कमरे में पंखे पर लटका मिला था.