राजनीतिक पहुंच से लेकर बेपनाह संपत्ति, ये हैं देश के प्रमुख अखाड़े, जानिये क्यों हुआ था इनका निर्माण
महंत महेन्द्र गिरि की मौत के बाद देश में मौजूद अखाड़े, उनका रसूख और बेपनाह संपत्तियां एक बार फिर चर्चा में आ गयी है. जरा समझने की कोशिश करते हैं कि संत समाज में अखाड़ा क्या होता है. कैसे ये बनते हैं. इनकी राजनीति रसूख कैसे होती है. और सबसे अहम बात की यह परंपरा का निर्वहन कैसे होता है.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनकी मौत के बाद एक बार फिर देश में मौजूद अखाड़े, उनका रसूख और बेपनाह संपत्तियां चर्चा में आ गयी है. जरा समझने की कोशिश करते हैं कि संत समाज में अखाड़ा क्या होता है. कैसे ये बनते हैं. इनकी राजनीति रसूख कैसे होती है. और सबसे अहम बात की यह परंपरा का निर्वहन कैसे होता है. देश में मौजूद अखाड़ों को लेकर पेश है खास रिपोर्ट.
धर्म की रक्षा के लिए बना था अखाड़ा: देश में शैवमत, वैष्णवमत और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं. यहां अखाड़े से तात्पर्य है साधुओं का ऐसा दल जो अस्त्र और शस्त्र विद्या में भी पारंगत होता है. आदिकाल से ही ऐसी परंपरा चली आ रही है. मान्यता है कि अताताइयों से हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए आदि गुरू शंकराचार्य ने ही पहले पहल अखाड़ा बनाकर साधुओं को शस्त्र कला की शिक्षा दी थी.
देश में कितने है अखाड़े: देश में कई शताब्दियों से कुल 13 अखाड़े है. हालांकि, 2019 में किन्नर अखाड़े को भी साधु परिषद की ओर से आधिकारिक मान्यता मिल चुकी है. लेकिन हम फिलहाल 13 का ही जिक्र कर रहे हैं. देश के 13 अखाड़े इस प्रकार हैं.
शैव संप्रदाय के अखाड़े
पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज, प्रयागराज (यूपी)
तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती- त्रयंबकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
पंच अटल अखाड़ा – चैक हनुमान, वाराणसी (यूपी)
पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयागराज (यूपी)
पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमना घाट, वाराणसी (यूपी)
पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (यूपी)
पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरिनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)
वैष्णव संप्रदाय के अखाड़े
दिगम्बर अनी अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात)
निर्वानी आनी अखाड़ा- हनुमान गढ़ी, अयोध्या (यूपी)
पंच निर्मोही अनी अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंशीवट, वृंदावन, मथुरा (यूपी)
उदासीन संप्रदाय के अखाड़े
पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयागराज (यूपी)
पंचायती अखाड़ा नया उदासीन- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)
निर्मल पंचायती अखाड़ा, कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)
अखाड़ों की संपत्ति और राजनीतिक रसूख: दरअसल कई ऐसे अखाड़े हैं जो मंदिरों का संचालन करते हैं. यहीं उनकी आय का मुख्य जरिया होता है. भक्त मंदिरों में जो दान करते हैं और चढ़ावा चढ़ाते हैं वो मंदिर की संपत्ति होती है. यह चंदा देखते ही देखते करोड़ो में पहुंच जाता है. इसके अलावा अखाड़ा का अपना ही राजनीतिक रसूख होता है. नेता प्रशासन महकमा और बड़े बड़े उद्योगपति का धर्मगुरुओं से संपर्क रहता है. इसके अलावा इनके पास भक्तों बड़ी संख्या में होते हैं. ऐसे में इन अखाड़ों का राजनीति रसूख काफी बढ़ जाता है.