उद्धव ठाकरे पर से टला बड़ा संकट, निर्विरोध बने MLC, बच गयी सीएम की कुर्सी

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray) और आठ अन्य उम्मीदवारों (eight other candidates ) को बृहस्पतिवार को राज्य विधान परिषद (State Legislative Council) के लिए निर्विरोध निर्वाचित (elected ) घोषित किया गया.

By Agency | May 14, 2020 8:25 PM
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मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और आठ अन्य उम्मीदवारों को बृहस्पतिवार को राज्य विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया.

उद्धव ठाकरे के अलावा विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरे (शिवसेना), रणजीत सिंह मोहिते पाटिल, गोपीचंद पाडलकर, प्रवीण दटके और रमेश कराड (सभी भाजपा) को भी निर्वाचित घोषित किया गया है.

निर्वाचित होने वाले उम्मीदवारों में राकांपा के शशिकांत शिंदे और अमोल मितकरी तथा कांग्रेस के राजेश राठौड़ शामिल हैं. ये सभी उम्मीदवार विधान परिषद की उन नौ सीटों के लिए मैदान में थे जो 24 अप्रैल को खाली हुई थीं.

एक अधिकारी ने कहा, वे सभी निर्विरोध चुने गए. उन्होंने बताया कि नामांकन वापस लेने की समय सीमा दोपहर तीन बजे समाप्त हो जाने के बाद परिणाम आधिकारिक रूप से घोषित किए गए.

इस चुनाव के साथ 59 वर्षीय ठाकरे पहली बार विधायक बने हैं. वह शिवसेना के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने पिछले साल 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और उन्हें 27 मई से पहले विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य बनना जरूरी था.

दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक पैकेज की घोषणा को लेकर एक सवाल पूछा है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में सवाल किया गया है कि क्‍या भारत अभी आत्मनिर्भर नहीं है?

शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि क्या भारत अभी ‘आत्मनिर्भर’ नहीं है. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में पूछा गया है कि 20 लाख करोड़ रुपये का प्रबंध कैसे किया जाएगा. पार्टी ने अपने मुखपत्र में कहा कि एक ऐसा माहौल तैयार करने की जरूरत है जहां उद्योगपतियों, कारोबारियों और बिजनेस क्षेत्रों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाए.

सामना में कहा गया कि आत्मनिर्भरता के इस नये रास्ते पर भारत उद्योगपतियों के देश से बाहर चले जाना वहन नहीं कर सकता है और इसके लिए कुछ समय तक ‘प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी राजनीतिक संस्थाओं पर विराम’ लगाया जाना चाहिए.

शिवसेना ने कहा कि देश को बताया जा रहा है कि यह पैकेज लघु, छोटे और मध्यम प्रतिष्ठानों, गरीब श्रमिकों, किसानों और आयकर देने वाले मध्य वर्ग को फायदा पहुंचाएगा.

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