महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) सहित कई अन्य नेताओं के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए, मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया है. सीएम ने जनहित के मुद्दों को देखते हुए नौ बागी मंत्रियों के विभागों को महाविकास अघाड़ी सरकार (Mahavikas Aghadi Government) के दूसरे मंत्रियों के जिम्मे में सौंपा है.
एनआई के मुताबिक महाराष्ट्र के नौ मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही खेमे में शामिल हो चुके हैं. शिंदे के अलावा, गुवाहाटी में डेरा डाले हुए अन्य मंत्री गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे और संदीपन भुमरे हैं. एकनाथ शिंदे के शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग (सार्वजनिक उपक्रम) को अब सुभाष देसाई को फिर से सौंपा गया है. उदय सामंत के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग को फिर से आदित्य ठाकरे और संदीपन आसाराम भुमारे (रोजगार) की गारंटी शंकर यशवंतराव गडख को दी गई है.
गुलाबराव पाटिल का जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग अनिल परब को दिया गया है, जबकि दादाजी भूसे का कृषि विभाग संदीपनराव भुमरे को, बागवानी मंत्री शंकर यशवंतराव गडख को दी गई है. हालांकि, राज्य के चार अन्य मंत्रियों शंभूराज देसाई, राजेंद्र पाटिल, अब्दुल सत्तार और ओमप्रकाश कडू के विभागों को अन्य मंत्रियों को फिर से आवंटित किया गया है.
यह निर्देश बागी नेता एकनाथ शिंदे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करने के बाद आया है. याचिका में कहा गया है कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने सदन में बहुमत खो दिया है. शिवसेना विधायक दल के 38 सदस्यों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. मामले में एकनाथ शिंदे और दूसरे बागी विधायकों की ओर से याचिकाएं दायर की गई है. डिप्टी स्पीकर ने जारी अयोग्यता नोटिस और अजय चौधरी की विधायक दल के नेता के रूप में नियुक्ति को चुनौती दी गई है.
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शिंदे खेमे ने दावा किया कि यह कदम अवैध था, क्योंकि अयोग्यता केवल विधानसभा के मामलों के लिए हो सकती है न कि पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए. एकनाथ शिंदे खेमे ने ठाकरे खेमे की ओर से अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता बनाए जाने को भी चुनौती दी है. उन्होंने अदालत से महाराष्ट्र सरकार को उनके परिवारों को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश देने की भी मांग की है.