Maharashtra Election: मराठवाड़ा में सोयाबीन और कपास की फसल बना चुनावी मुद्दा
मराठवाड़ा क्षेत्र में विपक्ष ने सोयाबीन और कपास की खरीद लक्ष्य से कम होने का दावा करके भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति के लिए चुनौती बढ़ा दी है.महायुति जहां लोकसभा चुनाव में मिली हार को बदलने में जुटी है वहीं एमवीए अपनी सीट को बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है.
Maharashtra Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के तीन प्रमुख दल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) के सामने लोकसभा चुनाव परिणाम को दोहराने और महायुति के पास पिछले परिणाम में उलटफेर करने की चुनौती है.महायुति में बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना (शिंदे) को अपनी सरकार बचाने के लिए कम से कम 145 सीट हासिल करनी होगी. महा विकास में कांग्रेस और महायुति में बीजेपी सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मराठवाड़ा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के परिणाम को उलटफेर करने की कोशिश में जुटी है.लेकिन विपक्ष ने सोयाबीन और कपास की खरीद लक्ष्य से कम होने का दावा करके भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति के लिए चुनौती और बढ़ा दी है. 20 नवंबर को होने वाले चुनाव में मराठवाड़ा क्षेत्र की कुल 46 विधानसभा सीटें दांव पर हैं. इस क्षेत्र में कुल आठ लोकसभा सीटें हैं. कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने लोकसभा चुनाव में मराठवाड़ा क्षेत्र में जीत दर्ज की थी.
सोयाबीन की खरीद नहीं होने पर विपक्ष उठा रहा सवाल
भाजपा इस क्षेत्र में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. एमवीए ने सात लोकसभा सीटें जीती थीं. लोकसभा चुनाव के दौरान मराठा आरक्षण आंदोलन और प्याज ने किसानों के गुस्से को इतना बढ़ा दिया था कि मराठवाड़ा क्षेत्र में महायुति का सफाया हो गया. कांग्रेस का कहना है कि मराठवाड़ा क्षेत्र के किसानों को सोयाबीन की फसल पर प्रति क्विंटल 1000 रुपये का नुकसान हो रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले दिनों किसानों के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि “महाराष्ट्र के किसान मुझे बता रहे थे कि सोयाबीन उगाने की लागत 4000 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि बिक्री मूल्य 3000 रुपये प्रति क्विंटल है. उन्हें प्रति क्विंटल एक हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष मौजूदा विधानसभा चुनावों में सोयाबीन किसानों के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहा है. कांग्रेस सरकार की ओर से सोयाबीन की खरीद के लिये जो समय निर्धारित की है, उसपर भी विपक्ष सवाल उठा रहा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के मुताबिक राज्य ने स्वीकृत मात्रा 13,08,238 मीट्रिक टन के विपरीत केवल 3,888 मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा है. महाराष्ट्र ने अपने लक्ष्य का 0.3 फीसदी ही पूरा किया है. जबकि कांग्रेस शासित पड़ोसी तेलंगाना ने इस बीच लगभग 25,000 मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा है, जो अपने लक्ष्य का 50 प्रतिशत है.
नेफेड एमएसपी पर खरीद रही है सोयाबीन
हालांकि महायुति कांग्रेस के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहती है कि कांग्रेस झूठ बोल रही है.सरकार ने चुनाव से पूर्व ही कपास का एमएसपी बढ़ाया है और किसानों के लागत से ज्यादा पर खरीद कर रही है. नेफेड 4892 रुपये प्रति क्विंटल सोयाबीन की खरीद कर रही है. दोनों गठबंधन के आरोप के बीच केंद्रीय खरीद एजेंसी नेफेड ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में सोयाबीन किसानों की परेशानी पर विपक्ष के दावों काे सच से परे बताया है.नेफेड की ओर से कहा गया,महाराष्ट्र के अकोला जिले के खामगांव में सोयाबीन की खरीद चल रही है. नेफेड केंद्रों के माध्यम से, किसान सीधे अपने बैंक खातों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ प्राप्त कर रहे हैं. जलगांव जिले के अमलनेर केंद्र पर किसानों की उपज के लिए 4892 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करते हुए सोयाबीन की खरीद चल रही है.