कोरोना संक्रमण के दौरान देश में जब पहली बार लॉकडाउन लगाया गया तो बड़े शहरों में काम करने वाले मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ बड़ गये थे. एक बार फिर बढ़ते कोरोना संक्रमण के आंकड़े ने इन्हें परेशान कर दिया है और मजदूर फिर अपने घर लौटने लगे हैं.
महाराष्ट्र के नाशिक में काम करने वाले बहुत सारे मजदूर अपने घर लौटने लगे हैं जिनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल सहित कई जगहों के लोग शामिल हैं. ये अपने घर पहुंचना चाहते हैं ताकि अगर बोर्डर सील हो जाये तो उन्हें वहीं ना रहना पड़े जहां वो काम करते हैं.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार इनमें से ज्यादातर कर्मचारी रेस्त्रां में, कंस्ट्रक्शन में काम करते हैं . ज्यादातर मजदूर अपने परिवार वालों के साथ अपने घर के लिए निकले हैं.
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महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना के आंकड़ों ने एक बार फिर मजदूरों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. इनमें से ज्यादातर मजदूर कोरोना संक्रमण के कम होने के बाद दोबारा काम पर लौटे थे. एक बार फिर बढ़ रहे आंकड़ों ने इन्हें अपने शहर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया है. इनमें से ज्यादातर लोग ट्रेन से अपने घर लौट रहे हैं.
केंद्र सरकार भी इस मामले की गंभीरता को समझती थी यही कारण है कि भारी संख्या में अनारक्षित ट्रेन चलायी गयी है. सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार को यह अंदाजा था कि बढ़ते आंकड़ों के बाद लोग अपने घरों की तरफ लौटेंगे. पिछली बार लगे लॉकडाउन के बाद मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ निकल पड़े थे हजारों किमी का सफर पैदल तय कर लिया था. सरकार इस बार मजदूरों को परेशानी ना हो इसका ध्यान रख रही है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने मजदूरों से बात की. मजदूरों ने बताया कि ज्यादातर के मालिकों ने ही उन्हें वापस जाने की सलाह दी . मजदूरों का कहना है कि अगर हम घर पहुंच गये तो कमरे का किराया तो नहीं देना पड़ेगा. गांव में हमारा घर है खाने का जुगाड़ हो जायेगा .