मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के प्रेस कॉन्फ्रेन्स में गृह मंत्री अनिल देशमुख का बचाव करने के बाद अब एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने भी बचाव किया है. साथ ही कोरेंटिन रहने के दौरान पुलिस अफसरों से मुलाकात के दावे को भी खारिज किया है.
नवाब मलिक ने गृहमंत्री अनिल देशमुख का बचाव करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा हे. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी परमबीर सिंह का तबादला होने के बाद कई तरह की बातें कह रहे हैं. वह ऐसा क्यों कह रहे हैं, यह भी पता है. वह दिल्ली गये, वहां वह किससे मिले, क्या बातें हुईं, सारी बातें हमें पता है. सही समय आने पर हम बतायेंगे.
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा है कि एनसीपी प्रवक्ता सह अल्पसंख्यक विकास व कौशल विकास और महाराष्ट्र के उद्यमिता मंत्री नवाब मलिक ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे. साथ ही कहा कि भाजपा को ऐसी मांग करने का नैतिक आधार नहीं है.
उन्होंने कहा कि कोरेंटिन रहने के दौरान गृहमंत्री अनिल देशमुख किसी भी पुलिस अधिकारी से नहीं मिले थे. अस्पताल से छुट्टी मिलने पर वह सीधे मुंबई आये और 27 फरवरी तक के लिए होम कोरेंटिन हो गये. नवाब मलिक ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस द्वारा लगाये जा रहे आरोप कि अनिल देशमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलायी थी, पूरी तरह से गलत है.
वहीं, भाजपा नेता व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने गृहमंत्री अनिल देशमुख की एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स का वीडिया साझा करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार के बयान पर सवाल उठाये हैं. जबकि, प्रेस कॉन्फ्रेन्स पर सफाई देते हुए मलिक ने कहा है कि 15 फरवरी को छुट्टी मिलने पर अस्पताल से बाहर निकलते समय कुछ पत्रकार मौजूद थे. वे गृहमंत्री से बात करना चाहते थे, लेकिन कमजोरी महसूस होने पर वह एक कुर्सी पर बैठ गये, जहां उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिये.
परमबीर सिंह ने होमगार्ड में तबादला किये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस पर एनसीपी नेता मलिक ने कहा कि अधिकारी का तबादला मुख्यमंत्री और गृह मंत्री का प्रशासनिक फैसला होता है. सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने और न्याय पाने का अधिकार सभी लोगों को है.
मालूम हो कि परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिख कर दावा किया था कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई पुलिस के सहायक पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को 100 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य दिया था. मामले की जांच एनआई और महाराष्ट्र एटीएस कर रही है.