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महाराष्ट्र: आईएसआईएस के निर्देश पर काम कर रहे थे आरोपी, एनआइए की चार्जशीट से हुआ खुलासा

आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट में एनआइए ने पूरा विवरण दिया है. ये आतंकी चरणबद्ध तरीके से लोगों को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे थे. जानें अपने आरोपपत्र में एनआइए ने क्या कहा

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआइए ने आईएसआईएस मॉड्यूल केस में सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दिया है. चार्जशीट में कई तरह के खुलासे किये गये हैं. इस चार्जशीट को लेकर अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर प्रकाशित की है. इसमें कहा गया है कि पकड़े गये आतंकी टेक्निकल बहुत साउंड थे. खासकर भिवंडी से पकड़ा गया 44 साल का जुल्फिकार अली, जो एक आईटी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता थी जो 31 लाख के सालाना पैकेज में काम कर रहा था. चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि एक आरोपी पुणे का है जिसका नाम शाहनवाज शैफुज्जमा (30) है. वह माइनिंग इंजिनियर है और उसे विस्फोटक के बारे में अच्छी जानकारी है. इसके अलावा, कदीर पठान (35) पुणे में एक ग्राफिक्स डिजाइनर के रूप में काम कर रहा था और उसने पुणे में अपनी वास्तविक पहचान छुपाकर रह रहा था. उसने इमरान खान (22) और यूनुस साकी (27) को ग्राफिक डिजाइन सिखाया. आरोपपत्र में कहा गया है कि जांच से जो बात सामने आई है उसके अनुसार, गिरफ्तार किये गये आरोपी कदीर पठान, इमरान खान, साकी काजी (28), जुल्फिकार अली (44) शमिल नाचन (32) आकिफ नाचन (44), यूनुस साकी और चार आरोपी जो वांटेड हैं, वह आईएसआईएस हैंडलर मोहम्मद के निर्देश पर काम कर रहे थे. ये सभी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना चाहते थे और इनका निशाना गैर-मुसलमान थे. पकड़े गये आतंकी मुसलमानों पर कथित अत्याचारों का बदला लेना चाहते थे.

कैसे देते घटना को अंजाम

आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट में एनआइए ने पूरा विवरण दिया है. ये आतंकी चरणबद्ध तरीके से लोगों को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे थे, जैसे कि आईईडी तैयार करने की वस्तुएं खरीदना, आईईडी को इस्तेमाल करने से पहले उसका टेस्ट करना. कहां हमला करना है उस जगह की जानकारी एकत्रित करना. तैयार किये गये आईईडी को दूर-दराज के इलाकों में छिपाना. इसके साथ ही ये आतंकी हमले को अंजाम देने के बाद कहां छिपना है, उस जगह की तलाश करने में लगे हुए थे. आरोप पत्र में आगे कहा गया कि गिरफ्तार आरोपी आईएसआईएस की आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कुछ लोगों को चुनाव कर रहे थे जो कट्टरपंथी मुस्लिम युवा हों. इतना करने के बाद ये देश में किसी बड़े हमले को अंजाम देते.

कैमिकल के लिए किया जा रहा था कोडवर्ड का इस्तेमाल

जांच एजेंसी के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं उससे इस बात की जानकारी सामने आई है कि आरोपी विस्फोटक के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के लिए कोड शब्दों का उपयोग कर रहे थे…जैसे सल्फ्यूरिक एसिड के लिए सिरका (सिरका), एसीटोन के लिए गुलाब जल, और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के लिए शरबत (मीठा पेय)… एक गवाह ने एनआईए को बताया कि अप्रैल या मई 2022 में वह आकिफ के साथ पुणे गया था. उसने कहा कि आकिफ दो गिलास लेकर आया था, जिसे उसने शरबत बताया था. गवाह ने बताया कि कुछ समय बाद आकिफ ने कहा कि बोतलों में खास कैमिकल है. इस कैमिकल को पुणे के कोंढवा में मेहमानों को सौंपा जाना है. आकिफ़ ने गवाह से मोबाइल ऑफ करने को कहा था. एनआईए ने कहा कि एफएसएल पुणे की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि लिखावट…कदीर पठान और शमिल नाचन से मेल खाती है जो जांच एजेंसी को हाथ लगे हैं.

कैसे करते थे अपने आकाओं से बात

एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में कहा कि आरोपियों को विदेशी हैंडलर्स द्वारा फंडिंग करने के सबूत मिले हैं. एनआईए ने आगे कहा कि खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके आरोपी अपने विदेश स्थित हैंडलर से बात करते थे. एनआईए ने कहा कि डिजिटल उपकरणों से बरामद की गई ‘भोला मोला’ नामक एक txt फ़ाइल से भी यही स्पष्ट है. एनआईए ने कहा कि फ़ाइल में जंगल यात्रा का एक विवरण मिला है. आरोप पत्र में 78 गवाहों के बयान शामिल हैं.

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19 जुलाई को, पुणे पुलिस ने खान, साकी और शाहनवाज के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जब उन्हें कथित तौर पर कोथरुड से दोपहिया वाहन चोरी करते हुए पाया गया था. आरोप पत्र में कहा गया है कि संदिग्धों के आवास की तलाशी के दौरान कई चीजें मिलीं हैं. जैसे संदिग्ध साहित्य, जिंदा कारतूस के साथ जाली दस्तावेज आदि…इसके बाद मामले को महाराष्ट्र एटीएस को ट्रांसफर कर दिया गया.

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