Maharashtra: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे से ‘जान को खतरा’ होने का आरोप लगाए जाने के मद्देनजर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि- राज्यसभा सदस्य को बिना सोचे समझे आरोप लगाने की आदत है. लेकिन, फिर भी समीक्षा के लिए संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा.
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने पुलिस को पत्र लिखकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे से ‘जान को खतरा’ होने का आरोप लगाया था. शिंदे खेमे के एक विधायक ने इसे ‘‘घटिया हथकंडा’’ बताया है. पत्र के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा- राउत बिना सोचे समझे आरोप लगा रहे हैं और हमें समझ नहीं आता कि हम इनका जवाब क्या दें. पहले हम उनके आरोपों का जवाब देते थे. उन्होंने कहा कि राज्यसभा सदस्य हमदर्दी पाने की कोशिश कर रहे हैं.
देवेंद्र फडणवीस ने कहा- मुझे लगता है कि वह इस तरह के आरोप लगाकर सनसनी पैदा कर रहे हैं. उन्हें लगता होगा कि इससे उन्हें कुछ सहानुभूति मिलेगी, लेकिन फर्जी आरोप लगाने से आपको सहानुभूति नहीं मिलती. फडणवीस ने राउत पर कटाक्ष किया और कहा कि वह सिर्फ प्रचार के लिए आरोप लगाते हैं. इससे पहले, राउत ने अपने पत्र में कहा था- ‘‘लोकसभा सदस्य श्रीकांत शिंदे (एकनाथ शिंदे के बेटे) ने मुझे जान से मारने के लिए ठाणे के एक अपराधी राजा ठाकुर को सुपारी दी है. मेरे पास इस संबंध में पुष्ट जानकारी है. मैं आपको एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में सूचित कर रहा हूं.
संजय राउत ने मुंबई पुलिस आयुक्त को लिखे एक पत्र में ये आरोप लगाए हैं, जिसकी प्रतियां गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और ठाणे शहर की पुलिस को भी भेजी गईं. राउत के पत्र से संबंधित एक सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे और विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा- शिकायत को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से इन गद्दार विधायकों (शिंदे खेमे से) पर बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं है. मुंबई के माहिम इलाके में एक विधायक ने गोलीबारी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
एकनाथ शिंदे के गुट के एक विधायक संजय शिरसाट ने कहा- राउत सहानुभूति हासिल करने के लिए घटिया हथकंडा अपना रहे हैं. इसमें कोई शक नहीं कि इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए. हालांकि, यह मत भूलिए कि राउत बहुत सारे हथकंडे अपनाते रहते हैं, जिनमें कोई तथ्य नहीं होता है. उन्होंने कहा- मेरा मानना है कि श्रीकांत शिंदे ऐसा कभी नहीं करेंगे, फिर भी जांच शुरू की जा सकती है.