Maharashtra Politics : बीजेपी के नारे ‘बटेंगे तो कटेंगे’ से सचमुच खफा हैं अजित पवार? पीएम मोदी की रैली में नहीं पहुंचे

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले महायुति गठबंधन में दरार की खबर सुर्खियों में है. अजित पवार की नाराजगी की खबर मीडिया में चल रही है.

By Amitabh Kumar | November 16, 2024 12:09 PM
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Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को है. इससे पहले रैलियों का दौर जारी है. खुद पीएम मोदी प्रदेश की महायुति गठबंधन को मजबूत करने में जुटे हैं. इस बीच एक ऐसी खबर आ रही है, जो गठबंधन की गांठ ढीली होने की ओर संकेत कर रही है. दरअसल, गठबंधन में दरार की चर्चा सूबे में तेजी से हो रही है. उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एनसीपी के अन्य वरिष्ठ नेता मोदी की रैली से दूरी बनाते नजर आए. गुरुवार को मुंबई के छत्रपति शिवाजी पार्क में प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी रैली थी, जिसमें कोई भी बड़ा चेहरा एनसीपी का नहीं दिखा.

अजित पवार की पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और बीजेपी के साथ एक महत्वपूर्ण साझेदार है. एनसीपी उम्मीदवार सना मलिक, नवाब मलिक और जीशान सिद्दीकी भी कार्यक्रम से दूर नजर आए. रैली में शिवसेना शिंदे गुट के नेता और रामदास अठावले के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के नेता मौजूद थे. एनसीपी नेताओं के नहीं पहुंचने का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है, खासकर तब जब अन्य गठबंधन के उम्मीदवार प्रधानमंत्री के साथ मंच पर दिखे.

महायुति नेताओं ने कहा- हम एकजुट

मीडिया में खबर है कि एनसीपी नेता बीजेपी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ अभियान की वजह से नहीं पहुंचे. मतभेद के दावों के बावजूद, महायुति नेताओं ने दरार की खबरों को खारिज किया है. शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने साफ शब्दों में कहा कि गठबंधन एकजुट है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार राज्यसभा सदस्य देवड़ा ने कहा कि महायुति गठबंधन एक साथ है. पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है.

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क्या ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे को लेकर महायुति में दरार?

अजित पवार ने इससे पहले ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि यह महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा. हमें विकास पर फोकस करने की जरूरत है. इस बीच, वरिष्ठ बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारा महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के अभियान के खिलाफ है. अजित पवार इसके ‘मूल’ अर्थ को समझ नहीं सके.

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