महाराष्ट्र: ‘राजनीति में भाषा का स्तर बरकरार रहना चाहिए’, उद्धव ठाकरे को गडकरी ने लगाई फटकार
शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे ने अपने एक बयान में देवेंद्र फड़णवीस को नागपुर के लिए कलंक बताया था. जिस पर पलटवार करते हुए नितिन गडकरी ने ठाकरे के बयान की निंदा की और कहा राजनीति में भाषा का स्तर बरकरार रहना चाहिए.
नागपुर में दिए उद्धव ठाकरे के बयान पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें फटकार लगाई है. उन्होंने कहा, नागपुर में श्री देवेन्द्र जी के बारे में श्री उद्धव ठाकरे का बयान निंदनीय है. राजनीति में भाषा का स्तर बरकरार रहना चाहिए. जब हम सरकार में थे तब किए गए विकास कार्यों और उनके द्वारा किए गए कार्यों पर उन्हें चर्चा करनी चाहिए, लेकिन इस तरह से निचले स्तर पर जाकर व्यक्तिगत आरोप लगाना महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति के अनुरूप नहीं है.
श्री उद्धव ठाकरे यांनी नागपूरमध्ये श्री देवेंद्रजींबद्दल केलेले वक्तव्य निंदनीय आहे. राजकारणात भाषेचा स्तर राखायला हवा. आम्ही सरकारमध्ये असताना केलेले विकासकार्य आणि त्यांनी केलेले कार्य यावर त्यांनी जरूर चर्चा करावी, परंतु अशा पद्धतीने अत्यंत खालच्या स्तरावर जाऊन व्यक्तिगत आरोप…
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) July 10, 2023
उद्धव ठाकरे का बयान
आपको बताए शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे ने अपने एक बयान में देवेंद्र फड़णवीस को नागपुर के लिए कलंक बताया था. उन्होंने कहा कि, देवेंद्र फड़णवीस ने कभी कहा था कि एनसीपी के साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगे, लेकिन फिर भी कर लिया. बीजेपी नेता की ना का मतलब हां होता है. ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस की एक पुरानी ऑडियो क्लिप माइक्रोफोन पर सबको सुनवाई. उद्धव ठाकरे ने कहा कि अब वे कह रहे हैं, उद्धव ठाकरे ने हमें छुरा घोंपा. सबसे पहले किसने उद्धव ठाकरे की पीठ में छुरा घोंपा? वे 2014 से 2019 तक सत्ता में थे. 2014 में शिवसेना ने गठबंधन नहीं तोड़ा. मैं तब कांग्रेस में नहीं गया था. मैं वही था और मैं वही हूं.
महाराष्ट्र की राजनीति में जुबानी जंग
वहीं उद्धव ठाकरे के बयान पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहीर करते हुए उद्धव ठाकरे के पोस्टर फाड़ डाल डाले और कई पोस्टरों पर कालिख पोत डाला. आपको बताएं की महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक में इस समय भूचाल आया है. महाराष्ट्र की दो बड़ी पार्टियों में फूट हो चुकी है. पहले शिवसेना उद्धव गुट और अब एनसीपी दोनों ही दलों के आंतरिक कलह से बनी मौजूद महाराष्ट्र की सरकार पर लगातार आरोप लग रहे हैं. महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों जुबानी जंग कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है.
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