Maharashtra Politics : MVA से अगल होंगे उद्धव ठाकरे? बीजेपी का साथ देने के सवाल पर क्या है नेताओं की राय
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) में मंथन तेज हो गया है. 20 विधायक ही पार्टी के इस बार जीतने में कामयाब रहे. जानें बैठक में क्या हुई चर्चा.
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के अंदर हलचल तेज हो चली है. उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना पर अपने नेताओं की ओर से गठबंधन छोड़ने का प्रेशर बढ़ रहा है. इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर प्रकाशित की है. इसमें कहा गया है, सोमवार को ठाकरे द्वारा एक बैठक आयोजित की गई. इसमें शिवसेना (यूबीटी) के 20 विधायकों में से अधिकांश ने एमवीए का दामन छोड़ने के लिए दबाव बनाया.
सूत्रों के हवाले से खबर दी गई है कि बैठक में एकनाथ शिंदे की शिवसेना को लेकर चर्चा हुई. इस चुनाव में शिंदे गुट 57 सीट जीतने में कामयाब रही. ठाकरे गुट के विधायकों ने कहा कि शिंदे की सेना के सामने शिवसेना (यूबीटी) पूरी तरह से दबकर रह गई है. जमीनी कैडर एमवीए के साथ रहकर परेशानी महसूस कर रहा है. हालांकि, ठाकरे के साथ-साथ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता जैसे आदित्य ठाकरे और राज्यसभा सांसद संजय राउत बीजेपी के खिलाफ एकजुट विपक्ष पेश करने के लिए गठबंधन बनाए रखने के इच्छुक नजर आए.
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शिवसेना (यूबीटी) को अलग चलना होगा: अंबादास दानवे
महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा, ”हमारे कई विधायकों का मानना है कि शिवसेना (यूबीटी) को अपना एक अलग रास्ता चुनना चाहिए. अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए. किसी गठबंधन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. शिवसेना कभी भी सत्ता में रहने के लिए इच्छुक नहीं रहती है. सत्ता हमारे पास तब आएगी जब हम अपनी विचारधारा पर अडिग रहेंगे.” दानवे ने कहा कि सभी गठबंधन को छोड़कर अलग चलने का कदम शिवसेना (यूबीटी) को अपनी नींव मजबूत करने में मदद करेगा. हमें महायुति के साथ भी नहीं जाना चाहिए. हमें बिल्कुल अलग राहत अपनाना चाहिए.
एकनाथ शिंदे गुट की लड़ाई में निकले आगे
एकनाथ शिंदे ने 2022 में पार्टी में विभाजन के दौरान शिवसेना के अधिकांश विधायकों और सांसदों को अपने साथ ले लिया था. शिंदे गुट ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर शिवसेना (यूबीटी) पर संस्थापक बाल ठाकरे और हिंदुत्व की विचारधारा के साथ ‘विश्वासघात’ करने का आरोप लगाया. तब से गुट की लड़ाई में शिवसेना (यूबीटी) को कई झटके लगे. इसमें पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न खोना भी शामिल है.