Maharashtra News देश की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 12 विधायकों के एक साल के निलंबन को असंवैधानिक और मनमाना बताते हुए रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से एक ओर जहां महाराष्ट्र सरकार को झटका लगा है. वहीं, दूसरी ओर बीजेपी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए ठाकरे सरकार पर जोरदार हमला बोला है.
वहीं, 12 विधायकों के निलंबन रद्द किये जाने पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि निलंबन का फैसला स्पीकर ने उस समय की स्थिति को देखते हुए लिया था. उनके चैंबर में हुई मारपीट के बाद यह कार्रवाई की गई है. मुझे लगता है कि यह उसका अधिकार है. कानून और संविधान के अनुसार निर्णय लिए जाते हैं. निलंबित विधायकों और उनकी पार्टी को आत्मनिरीक्षण की जरूरत है.
This decision (suspension) was taken by Speaker in view of the situation at that time. The action was taken after the scuffle at his Chamber. I think it is his right. Decisions are taken as per law & Constitution. Suspended MLAs & their party need to self-introspect: Sanjay Raut pic.twitter.com/5YppI7cKjw
— ANI (@ANI) January 28, 2022
इससे पहले बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले का स्वागत करते हुए महाराष्ट्र सरकार (Maharastra Government) पर जोरदार हमला किया है. विधानसभा में विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे सरकार से कहा है कि वह 12 विधायकों से माफी मांगे. बता दें कि निलंबित किए गए 12 सदस्य संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया हैं. इन विधायकों ने इस प्रस्ताव को अदालत ने चुनौती दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी के साथ कथित दुर्व्यवहार करने पर महाराष्ट्र विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित किए गए बीजेपी के 12 विधायकों की याचिकाओं पर यह व्यवस्था थी. मामले पर न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि हमें इन रिट याचिकाओं को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है और जुलाई 2021 में हुए संबंधित मानसून सत्र की शेष अवधि के बाद तक के लिए इन सदस्यों को निलंबित करने वाला प्रस्ताव कानून की नजर में असंवैधानिक, काफी हद तक अवैध और तर्कहीन है.