Mahatma Gandhi Death Anniversary: दिल्ली के नेशनल गांधी म्यूजियम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वास्थ्य से जुड़ी फाइलें सुरक्षित रखी गयीं है. यह पहली बार किताब की शक्ल में लोगों के सामने आयी हैं. ‘गांधी एंड हेल्थ @ 150’ शीर्षक से प्रकाशित इस किताब में खुलासा किया गया है कि 220/110 तक के हाइ ब्लडप्रेशर की गिरफ्त में होने के बावजूद बापू कैसे खुद को फिट रख पाते थे. इस किताब को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने प्रकाशित किया है. इससे स्पष्ट होता है कि अहिंसा और मानसिक चिकित्सा पर महात्मा गांधी का दर्शन 21वीं सदी में भी प्रासंगिक है.
रिपोर्ट के मुताबिक साल 1938 में बापू का वजन 46.7 किलोग्राम और उनकी लंबाई पांच फुट पांच इंच थी़ बॉडी मास इंडेक्स (17.1) के लिहाज से यह दशा ‘अंडरवेट’ कही जायेगी. मौजूदा वक्त में यदि कोई इस हालत में हो, तो उसे उसे ज्यादा और संतुलित भोजन करने के साथ-साथ नियमित जांच की जरूरत पड़ेगी.
वर्ष 1927 में बापू को हाइ ब्लडप्रेशर की शिकायत सामने आयी थी़ 19 फरवरी 1940 को बापू का ब्लड प्रेशर 220/110 तक पहुंच गया था़ फिर भी बापू ने खुद को शांत बनाये रखा. कुछ महीने बाद बापू ने सुशीला नैयर को एक चिट्ठी लिखी थी़ इस पत्र में उन्होंने नैयर से कहा था : मैं हाइ ब्लडप्रेशर के हवाले हूं. मैंने सर्पगंधा की तीन बूंदें ली हैं. इस बीमारी के बावजूद बापू खुद को फिट रखने के लिए रोज 18 किलोमीटर पैदल चलते थे़ यही नहीं 1913 से 1948 तक बापू ने लगभग 79,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की़ किताब के मुताबिक यह दूरी पृथ्वी की गोलाई के लगभग दोगुने के बराबर है.
रिपोर्ट के मुताबिक साल 1925, 1936 और 1944 में बापू तीन बार मलेरिया की चपेट में आये थे. साल 1919 और 1924 में उन्हें अपेंडिक्स और पाइल्स की समस्या हुई थी. जब वह लंदन में थे तब उन्हें प्लूरिसी इन्फ्लामेशन की शिकायत हुई. उनको फेफड़े और छाती में तकलीफ से भी जूझना पड़ा था. बापू अंग्रेजी दवाओं को पसंद नहीं करते थे. बीमारियों के इलाज में उनका भरोसा प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद पर बड़ा गहरा था. बापू अपने आहार को लेकर भी प्रयोगधर्मी थे. शरीर को लेकर उनकी सजगता ने उन्हें आकस्मिक संकटों से उबरने में मदद की.
शाकाहारी भोजन और व्यायाम : शाकाहारी भोजन और नियमित व्यायाम उनकी अच्छी सेहत का राज था. गांधीजी के अच्छे स्वास्थ्य का श्रेय ज्यादातर उनके शाकाहारी भोजन और खुली हवा में व्यायाम करने को दिया गया.
पैदल चलना : महात्मा गांधी अपने जीवन में प्रत्येक दिन 18 किलोमीटर चलते थे़ लंदन में छात्र जीवन में गांधीजी हर दिन शाम को लगभग आठ मील पैदल चलते थे और बिस्तर पर जाने से पहले 30-40 मिनट के लिए फिर से टहलने जाते थे.
घरेलू उपचार और प्राकृतिक चिकित्सा : उन्होंने गाय या भैंस का दूध नहीं पीने की प्रतिज्ञा की थी, जो घरेलू उपचार और प्राकृतिक चिकित्सा पर उनके विश्वास को रेखांकित करता है.