Gujarat Election 2022: महेसाणा विधानसभा सीट से किसे मैदान में उतारेगी भाजपा ? जानें क्‍यों है यह खास सीट

Gujarat Election 2022: हार्दिक पटेल का नाम अपके कानों तक जरूर पहुंचा होगा. जी हां...उन्होंने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ी थी और भाजपा का दामन थाम लिया था. यदि आपको याद हो तो महेसाणा से ही पाटीदार आरक्षण आंदोलन की शुरुआत करते हुए हार्दिक पटेल ने हुंकार भरी थी.

By Amitabh Kumar | September 10, 2022 11:36 AM
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Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक पारा गरम हो चला है. इस बार का चुनाव इसलिए और अहम होता नजर आ रहा है क्‍योंकि मैदान में आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ भी पूरे दमखम के साथ उतरने के लिए तैयार है. आप ने अपने तीन उम्मीदवारों की सूची तक जारी कर दी है जबकि कांग्रेस सितंबर के अंत में अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करना शुरू करेगी. गुजरात भाजपा का गढ़ है और पहले ऐसा प्रतीत हो रहा था कि पार्टी किसी रुकावट के चुनावी झंडे गाड़ लेगी लेकिन अब मुकाबला त्रिकोणिय होता दिख रहा है.

इन सबके बीच हम गुजरात के महेसाणा की चर्चा करते हैं जो भाजपा के लिए अहम सीट है. जी हां…जब भाजपा को पूरे देश में कहीं पर भी जनादेश नहीं था, तब पार्टी ने महेसाणा क्षेत्र पर जीत का परचम लहराया था. महेसाणा को भाजपा की राजनीतिक लेबोरेटरी की संज्ञा दी जाती है. यहा से भाजपा के दिग्गज नेता आते हैं. यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का भी यहां से गहरा संबंध है.

हार्दिक पटेल की चर्चा

हार्दिक पटेल का नाम अपके कानों तक जरूर पहुंचा होगा. जी हां…उन्होंने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ी थी और भाजपा का दामन थाम लिया था. यदि आपको याद हो तो महेसाणा से ही पाटीदार आरक्षण आंदोलन की शुरुआत करते हुए हार्दिक पटेल ने हुंकार भरी थी. इस बार महेसाणा की सीट पर भाजपा में मंथन चल रहा है. महेसाणा की बात करें तो ये वही सीट है जिसपर 1990 से भाजपा ने कब्जा जमा रखा है.

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महेसाणा क्‍यों है भाजपा के लिए अहम सीट

महेसाणा सीट की बात करें तो 58 साल पहले यहां पर 1962 में पहली बार विधानसभा चुनाव कराये गये थे. इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला उम्मीदवार शांताबेन पटेल ने जीत का परचम लहराया था. 1990 में महेसाणा विधानसभा सीट पर पाटीदार समाज के कारण भाजपा के खोडाभाई पटेल चुनाव जीते थे. वर्ष 2002 और 2007 में अनिल पटेल पर भाजपा ने भरोसा जताया था. पार्टी की उम्मीद पर वे खरे भी उतरे थे. अब बात 2012 और 2017 के चुनाव की करते हैं.

इन दोनों चुनाव में भाजपा से नितिन पटेल चुनावी मैदान में उतरे थे. पाटीदार आंदोलन से बदले हुए राजनीतिक और सामाजिक समीकरण के बीच भी उन्होंने भाजपा को निराश नहीं किया और जीत दर्ज की. अब इस विधानसभा में ये देखने वाली बात होगी कि नितिन पटेल को भाजपा फिर से चुनावी मैदान में उतारेगी या किसी और नये चेहरे को उम्मीदवार बनाती है.

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