Mahua Moitra News: महुआ मोइत्रा की खबर ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है. रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपों से वह घिरीं हैं. इस बीच लोगों के मन में एक सवाल आ रहा है कि आखिर मोइत्रा को लेकर उनकी ही पार्टी टीएमसी ने अबतक कुछ क्यों नहीं कहा है? पार्टी का कोई बयान मामले पर नहीं आने के बाद एक अलग ही कयासों का बाजार गर्म होता जा रहा है. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अब तक कुछ नहीं कहा है और पार्टी का कोई अन्य नेता भी उनके बचाव में उतरता नजर नहीं आ रहा है. महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर संसद में अदानी ग्रुप को लेकर सवाल पूछने का काम किया. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस संबंध में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को शिकायत की थी. अब इस शिकायत को एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया गया है.
क्या बिगड़ रहे हैं ममता बनर्जी से रिश्ते
टीएमसी और ममता बनर्जी की ओर से दूरी बनती दिख रही है. इसको लोग महुआ मोइत्रा के साथ पार्टी के बिगड़ते समीकरण के तौर पर भी देख रहे हैं. यदि आपको याद हो तो इससे पहले देवी काली को लेकर महुआ मोइत्रा ने कुछ महीने पहले आपत्तिजनक टिप्पणियां कर दीं थीं, जिससे टीएमसी बीजेपी के निशाने पर आ गई थी. इस वक्त महुआ के खिलाफ कई जगहों पर केस भी दर्ज कराए गए थे. उस मामले से भी टीएमसी पल्ला झाड़ते हुए बचती दिखी थी. टीएमसी की ओर से महुआ के बयान को उनकी निजी राय बता दिया गया था.
शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया
इस बीच टीएमसी की नेता एवं सांसद महुआ मोइत्रा ने रियल एस्टेट से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाले समूह हीरानंदानी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि पीएमओ यानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पत्र को तैयार किया था और हीरानंदानी के परिवार के कारोबार को ‘‘पूरी तरह बंद करने की धमकी देकर’’ उन्हें इस शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. महुआ की ओर से देर रात एक बयान जारी किया गया जिसमें दावा किया गया है कि पीएमओ ने दर्शन और उनके पिता पर ‘‘बंदूक तान कर’’ उन्हें इस ‘‘पत्र’’ पर हस्ताक्षर करने के लिए 20 मिनट का समय दिया.
पीएम मोदी को ‘बदनाम’’ करने के लिए हुआ ये सब
महुआ मोइत्रा के बयान से कुछ ही देर पहले हीरानंदानी ने गुरुवार को एक हलफनामे में दावा किया था कि टीएमसी की नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘बदनाम’’ करने के लिए उद्योगपति गौतम अदाणी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा था कि मोइत्रा का इरादा प्रधानमंत्री को बदनाम करना था क्योंकि उनकी प्रतिष्ठा के कारण विपक्षी दलों को उन पर हमले का मौका नहीं मिलता. महुआ मोइत्रा पर आरोप है कि हीरानंदानी समूह ने अदाणी समूह के बारे में संसद में सवाल उठाने के लिए तृणमूल नेता को कथित तौर पर भुगतान किया था. एक हस्ताक्षरित हलफनामे में हीरानंदानी ने स्वीकार किया कि सरकार के स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) द्वारा उनकी कंपनी के एलएनजी टर्मिनल के बजाय ओडिशा में धामरा एलएनजी आयात सुविधा केंद्र को चुनने के बाद उन्होंने अदाणी पर निशाना साधते हुए सवाल पूछने के लिए मोइत्रा के संसदीय लॉगिन का इस्तेमाल किया था.
‘‘पत्र’’ का मसौदा ‘‘पीएमओ ने भेजा था
महुआ मोइत्रा ने दो पृष्ठ का बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि हीरानंदानी द्वारा जारी किए गए ‘‘पत्र’’ का मसौदा ‘‘पीएमओ ने भेजा था और उन्हें इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले (16 अक्टूबर 2023) हीरानंदानी समूह ने एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं. आज (19 अक्टूबर 2023) एक ‘‘इकबालिया हलफनामा’’ प्रेस में लीक हुआ. यह ‘शपथपत्र’ सफेद कागज के एक टुकड़े पर है, जिसमें कोई ‘लेटरहेड’ (शीर्षक) नहीं है और मीडिया में लीक होने के अलावा यह आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया गया है. आगे मोइत्रा ने कहा कि भारत का सबसे प्रतिष्ठित/शिक्षित व्यवसायी सफेद कागज पर लिखे इस तरह के पत्र पर हस्ताक्षर क्यों करेगा जब तक कि ऐसा करने के लिए उस पर बंदूक न तानी गई हो.
भाषा इनपुट के साथ