Make in India: मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में वैश्विक हब के तौर पर विकसित हो रहा है भारत

पिछले 10 साल में मेक इन इंडिया के तहत घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला है. यदि विदेशी निवेश की बात करें तो वर्ष 2014 से 2024 तक कुल 667.4 बिलियन डॉलर का निवेश भारत के 31 राज्यों में हुआ, जो वर्ष 2004-14 के मुकाबले 119 फीसदी अधिक है.

By Anjani Kumar Singh | September 25, 2024 7:34 PM

Make in India: देश को मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में दुनिया का अव्वल देश बनाने के लिए मेक इन इंडिया पहल की शुरुआत की गयी. केंद्र सरकार ने 25 सितंबर 2014 को इस योजना को शुरू किया. पिछले 10 साल में मेक इन इंडिया के तहत घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला है. इसके अलावा इनोवेशन, कौशल विकास और विदेशी निवेश बढ़ा है. अगर विदेशी निवेश की बात करें तो वर्ष 2014 से 2024 तक कुल 667.4 बिलियन डॉलर का निवेश भारत के 31 राज्यों में 57 क्षेत्रों में हुआ, जो वर्ष 2004-14 के मुकाबले 119 फीसदी अधिक है. कुछ सामरिक महत्व के क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्रों में 100 फीसदी विदेशी पूंजी निवेश की इजाजत है.

मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में वर्ष 2014-24 के दौरान 165.1 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ जो वर्ष 2004-14 के दौरान 97.7 बिलियन डॉलर था. यानि इस दौरान मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में ही विदेशी निवेश में 69 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है. निवेश बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से वर्ष 2020 में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना लागू की गयी है और इस योजना के बाद मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में लगभग 1.32 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ और मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन जून में 10.90 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग 9 लाख लोगों को रोजगार का अवसर मिला. 

आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करना है मकसद

मेक इन इंडिया का मकसद देश को विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाना है. इसके लिए विदेशी पूंजी जरूरी है. इसे देखते हुए सरकार की ओर से आर्थिक सुधार के कई कदम उठाए गए हैं. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर करने के लिए पुराने हो चुके लगभग 42 हजार नियमों को हटाया गया और लगभग 3700 प्रावधानों को गैर अपराधिक श्रेणी में डाला गया. देश में सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास के लिए 76 हजार करोड़ वाली सेमीकान इंडिया योजना की शुरुआत की गयी.

इस योजना का मकसद देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए पूंजी और तकनीकी सहायता मुहैया कराना है. देश में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के विकास में सरकार की ओर से हर स्तर पर मदद देने की तैयारी है. देश को लॉजिस्टिक क्षेत्र का हब बनाने के लिए नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी लागू की गयी है. इसके अलावा इंडस्ट्रियल और डिफेंस कॉरिडोर बनाया जा रहा है. स्टार्टअप इंडिया के जरिये विभिन्न क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ाने का काम किया गया है. सरकार के प्रयासों के कारण मौजूदा समय में कई क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. 

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