कर्नाटक की राजनीति ने नई करवट ली है अब यहां एक नई सरकार का गठन होना है लेकिन सवाल अब भी वही हैं ‘कर्नाटक में कौन बनेगा मुख्यमंत्री‘? वहीं इस सब के बीच कांग्रेस नेता सिद्धारमैया और अन्य नवनिर्वाचित विधायक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर पहुंचे, जहां उन्होंने आज होने वाली बैठक के मद्देनजर बातचीत की. वहीं डीके शिवकुमार ने अबतक खरगे से मुलाकात नहीं की है वो अपने परिवार के साथ किसी मठ में गए हैं.
खरगे से मुलाकात करने वालों में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी एच. के. पाटिल ने कहा कि हमारा हाई-कमान जो कहेगा वही मुख्यमंत्री होगा. मुझे नहीं पता लेकिन जो मीडिया के माध्यम से खबरें आ रही हैं उससे पता चल रहा है कि कई उपमुख्यमंत्री होने की संभावना है. मल्लिकार्जुन खरगे मुख्यमंत्री बनाने वालों में से हैं न कि मुख्यमंत्री बनने वालों में से
उन्होंने कहा, ‘खरगे जी हमारी पार्टी को 135 के आंकड़े पर लेकर गए इसलिए हम सबने उनको मिलकर बधाईयां दीं और उन्होंने हमको दीं. हमारी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद को लेकर किसी भी तरह से कोई चर्चा नहीं हुई है.
वहीं, कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार शाम साढ़े पांच बजे शुरू होने की संभावना है और नवनिर्वाचित विधायकों को पहले ही बेंगलुरु आने का निर्देश दे दिया गया है. आठ बार के विधायक शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी इच्छा सार्वजनिक रूप से जाहिर की है. कांग्रेस ने खासतौर से सिद्दरमैया और शिवकुमार के खेमों के बीच गुटबाजी को दूर रखने की चुनौती के साथ चुनाव प्रचार अभियान में प्रवेश किया था. अब अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के हाथ में सभी धड़ों को एक साथ लेकर विधायक दल के नेता का चयन करने की प्रक्रिया पूरी करने का जिम्मा है.
सिद्दरमैया और शिवकुमार के आवास पर समर्थकों ने बैनर लगाए हैं जिसमें उन्हें कांग्रेस की जीत के लिए बधाई दी गयी है और उन्हें ‘‘अगला मुख्यमंत्री’’ बताया गया है. शिवकुमार (60) को पार्टी के लिए ‘‘संकटमोचक’’ माना जाता है जबकि सिद्दरमैया का पूरे कर्नाटक में प्रभाव है. अगर जद(एस) से निलंबित होने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले सिद्दरमैया को विधायक दल का नेता चुना जाता है तो यह मुख्यमंत्री के तौर पर उनका दूसरा कार्यकाल होगा. वह 2013-18 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे. शिवकुमार उनके मंत्रिमंडल में मंत्री रहे थे. पार्टी के सूत्रों के अनुसार, नव निर्वाचित विधायकों की राय ली जाएगी और उसके आधार पर उन्हें जरूरत पड़ने पर अपने नेता के लिए वोट करने को भी कहा जा सकता है.