मणिपुर में जारी हिंसा और दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले को लेकर देशभर में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इसी मुद्दे को लेकर पत्र लिखा है. खरगे ने अपने पत्र के माध्यम से केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाया है.
आपकी कथनी और करनी में अंतर : खरगे
मल्लिकार्जुन खरगे ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा, आपको ध्यान होगा कि मणिपुर में 3 मई के बाद की स्थिति पर I-N-D-I-A घटक दलों की लगातार मांग रही है कि प्रधानमंत्री सदन के पटल पर पहले अपना बयान दें. जिसके बाद दोनों सदनों में इस विषय पर एक विस्तृत बहस और चर्चा की जाए. जिस तरह की गंभीर स्थिति पिछले 84 दिनों से मणिपुर में व्याप्त है और जिस तरह की घटनाएं एक-एक कर सामने आ रही हैं, हम सभी राजनीतिक दलों से यह अपेक्षित है कि हम वहां पर तत्काल शांति बहाली के लिए तथा जनता को संदेश देने के लिए देश के सर्वोच्च सदन में कम से कम इतना तो करेंगे. हम सामूहिक रूप से यही मांग कर रहे हैं. आपके पत्र में व्यक्त भावनाओं की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है. सरकार का रवैया आपके पत्र के भाव के विपरीत सदन में असंवेदनशील और मनमाना रहा है यह रवैया नया नहीं बल्कि पिछले कई सत्रों में भी देखने को मिला है. नियमों और परिपाटी को ताख पर रख कर विपक्ष को एक चाबुक से हांका जा रहा है.
सत्ता पक्ष खुद कर रही सदन की कार्यवाही को बाधित : खरगे
छोटी घटनाओं को तिल का ताड़ बनाकर माननीय सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. ऐसा तब, जब कि नियम इस विषय में यह है कि किसी सदस्य का निलंबन उसी घटना के लिए एक सत्र से अधिक बार जारी नहीं रह सकता. गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल को मणिपुर मामले में हंगामे की वजह से पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. खरगे ने आगे लिखा, रोज 267 नियम के तहत विपक्षी सांसदों द्वारा बहस की नोटिस दी जाती है परंतु सत्तापक्ष में बैठे लोग ही सदन की कार्रवाई को अवरुद्ध करते हैं. विपक्ष के नेता जब चेयरमैन की अनुमति के बाद बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो स्वयं सदन के नेता निवेदन और चवर की अनुमति के बाधा डालते हैं. आसन तथा सदन की परंपरा की अवमानना करते हैं. ऐसा पूरे सदन के समक्ष और लगातार हो रहा है. विपक्षी दलों के सदस्य हर स्थगन के बाद सदन इसी आशा के साथ एकत्रित होते हैं कि सदन की कार्यवाही शायद दुबारा सुचारु रूप से चलाई जाएगी. परंतु अबतक निराश ही हाथ लगी है.
LoP in Rajya Sabha Mallikarjun Kharge writes to Union Home Minister Amit Shah over the logjam in the Parliament over Manipur issue.
"We have been urging the Prime Minister to come and speak in the Parliament but it seems that will hurt his prestige. We are committed to the… pic.twitter.com/OtAr41TqK8
— ANI (@ANI) July 26, 2023
प्रधानमंत्री विपक्ष को अंग्रेज शासकों और आतंकवादियों के साथ जोड़ते हैं : खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने पत्र में आगे लिखा, एक ही दिन में आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के विपक्षी दलों को अंग्रेज शासकों और आतंकवादी दल से जोड़ते हैं और उसी दिन गृहमंत्री पत्र लिखकर विपक्ष से सकारात्मक रवैये की अपेक्षा करते हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष में समन्वय का अभाव वर्षों से दिख रहा था, अब यह खाई सत्तापक्ष के अंदर भी दिखने लगी है. इस पर प्रधानमंत्री द्वारा विपक्षी दलों को दिशाहीन बताना, बेतुका ही नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है. प्रधानमंत्री जी से हम सदन में आकर बयान देने का आग्रह कर रहे हैं परंतु ऐसा लगता है कि उनका ऐसा करना उनके सम्मान को ठेस पहुंचाता है.
कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को लोकसभा ने दी मंजूरी, चर्चा की तिथि तय होगी बाद में
संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में मणिपुर हिंसा पर सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी जिस पर चर्चा की तिथि बाद में तय की जाएगी. सदन में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई द्वारा पेश इस प्रस्ताव को लोकसभा ने चर्चा के लिए स्वीकृति प्रदान की. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तिथि के बारे में अवगत कराएंगे.
विपक्षी गठबंधन ने बैठक में मणिपुर मुद्दे पर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का लिया था फैसला
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों की मंगलवार को हुई बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में फैसला हुआ था. कांग्रेस ने अपने सदस्यों को व्हिप जारी करके कहा था कि वे बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे संसद भवन स्थित पार्टी संसदीय दल के कार्यालय में मौजूद रहें. कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मॉनसून सत्र के पहले चार दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई.
महिलाओं के साथ बर्बरता का वीडियो सामने आने के बाद पीएम मोदी ने पहली बार दिया था बयान
प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए 20 जुलाई को संसद भवन परिसर में कहा था कि यह घटना किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है और इससे पूरे देश की बेइज्जती हुई है. संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले, मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों को विश्वास दिलाया था कि इस मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और कानून सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि विपक्षी दलों को जनता से डरना चाहिए और मणिपुर जैसे संवेदनशील विषय पर चर्चा के लिए सदन में उचित माहौल बनाना चाहिए तथा सरकार को चर्चा से कोई डर नहीं है.
क्या है मणिपुर का मामला
मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का वीडियो गत बुधवार, 19 जुलाई को सामने आया था जिसके बाद देश भर में आक्रोश फैल गया और विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए. अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.