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मणिपुर भूस्खलन पर बोले CM एन बीरेन सिंह, कहा- राज्य के इतिहास में सबसे खराब घटना, 81 लोगों की जान गंवाई

मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य के इतिहास में सबसे खराब घटना...हमने 81 लोगों की जान गंवाई है, जिनमें से 18 को प्रादेशिक सेना (कार्मिक) सहित बचा लिया गया है. वहीं करीब 55 लोग अब भी फंसे हुए हैं. मिट्टी के कारण सभी शवों को ठीक होने में 2-3 दिन लगेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2022 9:35 AM

मणिपुर के नोनी जिले में हुए भूस्खलन (Manipur Landslide) ने काफी तबाही मचाई है. इस हादसे में अब तक 81 लोगों की जान जा चुकी है. मामले में मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य के इतिहास में सबसे खराब घटना…हमने 81 लोगों की जान गंवाई है, जिनमें से 18 को प्रादेशिक सेना (कार्मिक) सहित बचा लिया गया है. वहीं करीब 55 लोग अब भी फंसे हुए हैं. मिट्टी के कारण सभी शवों को ठीक होने में 2-3 दिन लगेंगे.

सेना ने एक बयान में कही ये बात

सेना ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर में भूस्खलन के बाद लापता हुए प्रादेशिक सेना के 15 जवानों और 29 नागरिकों की तलाश जारी रहेगी. सेना ने एक बयान में कहा, ”थ्रू वॉल राडार का इस्तेमाल कीचड़ के अंदर किसी भी मानव उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जा रहा है. अब तक, प्रादेशिक सेना के 13 जवानों और पांच नागरिकों को सुरक्षित बचा लिया गया है, जबकि अब तक प्रादेशिक सेना के 15 जवानों और पांच नागरिकों के शव बरामद किए गए हैं.”


एन बीरेन सिंह ने घटनास्थल का लिया जायजा

वहीं प्रादेशिक सेना के जवानों के पार्थिव शरीरों को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके गृह स्टेशनों पर भेजा जा रहा है. बयान में आगे कहा गया, ”प्रादेशिक सेना के लापता 15 जवानों और 29 नागरिकों की तलाश लगातार जारी रहेगी.” मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बचाव अभियान में लगे कर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिए घटनास्थल का दौरा किया.

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तुपुल में हुआ था भीषण भू-स्खलन

गुरुवार को नोनी जिला के तुपुल में भीषण भू-स्खलन हुआ था, जिसमें काफी संख्या में लोग लापता हो गये थे. लापता लोगों में टेरिटोरियल आर्मी के जवानों के अलावा नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे के कर्मचारी और आम लोग शामिल थे. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हादसे में जान गंवाने वालों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है. मणिपुर के राज्यपाल एल. गणेशन ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया है. भूस्खलन के कारण मलबे ने बड़े पैमाने पर इजेई नदी को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे एक जलाशय बन गया है, जो निचले इलाकों को जलमग्न कर सकता है. (भाषा)

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