मणिपुर हिंसा मामला की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई है. जिसमें तीन पूर्व महिला जजों को शामिल किया गया है. कमेटी की अध्यक्षता न्यायमूर्ति गीता मित्तल करेंगी और इसमें न्यायमूर्ति शालिनी जोशी, न्यायमूर्ति आशा मेनन भी शामिल होंगी.
सीबीआई के अलावा एसपी रैंक के पांच अधिकारी और एसआईटी मणिपुर मामले की करेगी जांच
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जांच के मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन कानून के शासन में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश देने का प्रस्ताव है कि कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारी होंगे जिन्हें विभिन्न राज्यों से सीबीआई में लाया जाएगा. ये अधिकारी सीबीआई के बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक ढांचे के चारों कोनों में भी काम करेंगे. 42 एसआईटी ऐसे मामलों को देखेंगी जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं.
राज्य ने एसआईटी गठन का रखा था प्रस्ताव
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई शुरू की और इस दौरान राज्य सरकार ने मामलों की जांच के लिए जिला पुलिस अधीक्षकों की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का प्रस्ताव रखा था.
डीजीपी राजीव सिंह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हुए पेश
मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह जातीय हिंसा और प्रशासन द्वारा इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों तथा प्रभावी जांच के उद्देश्य से मामलों को अलग करने संबंधी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष पेश हुए.
अटॉर्नी जनरल ने कहा, सरकार बहुत परिपक्व तरीके से हालात से निपट रही
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले अलग-अलग करने सहित विभिन्न मामलों पर शीर्ष अदालत द्वारा एक अगस्त को मांगी गई रिपोर्ट उसे सौंपी. अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा, सरकार बहुत परिपक्व तरीके से हालात से निपट रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संवेदनशील मामलों की जांच के लिए जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षकों की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने का प्रस्ताव रखा है और इसके अलावा 11 मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) करेगी.
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सुप्रीम कोर्ट मणिपुर मामले की सुनवाई करते हुए की थी सख्त टिप्पणी
इससे पहले मणिपुर की स्थिति पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को कहा था कि वहां कानून-व्यवस्था एवं संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. शीर्ष अदालत ने जातीय हिंसा की घटनाओं, खासतौर पर महिलाओं को निशाना बनाने वाले अपराधों की धीमी और बहुत ही लचर जांच के लिए राज्य पुलिस की खिंचाई की थी और उसके सवालों का जवाब देने के लिए डीजीपी को तलब किया था. केंद्र ने पीठ से आग्रह किया था कि भीड़ द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वीडियो से संबंधित दो प्राथमिकी के बजाय, 6,523 प्राथमिकियों में से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से संबंधित 11 मामलों को सीबीआई को सौंपा जाए और मुकदमे की सुनवाई मणिपुर के बाहर कराई जाए. पीठ हिंसा से संबंधित लगभग 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
क्या है मामला
दरअसल इसी साल 3 मई को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने की मांग के विरोध में कुकी समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया था. जिसके बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी. उसके दूसरे दिन 4 मई को मैतेई समुदाय के करीब 1000 लोगों ने कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराया था. जिसका वीडियो 19 जुलाई को सोशल मीडिया में सामने आया. जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश भड़क उठी.
खरगे, सोनिया और राहुल से मिले मणिपुर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
कांग्रेस की मणिपुर इकाई के कुछ प्रमुख नेताओं ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर राज्य की स्थिति के बारे में चर्चा की. ये नेता संसद भवन स्थित कांग्रेस संसदीय दल के कार्यालय में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मिले. सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम ईबोबी सिंह, मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मेघचंद्र और कुछ अन्य नेताओं ने खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मणिपुर की स्थिति से अवगत कराया.
I-N-D-I-A के सांसदों ने किया था मणिपुर का दौरा
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से संसद में वक्तव्य देने और इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है. कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच पिछले दिनों लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. इस पर मंगलवार (आठ अगस्त) से सदन में चर्चा होगी और 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका जवाब दे सकते हैं.