Manipur Violence: मणिपुर में अब कैसी है स्थिति? घाटी क्षेत्र में कर्फ्यू में दी गयी 12 घंटे की ढील
केंद्र ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया. अन्य सदस्यों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हिमांशु शेखर दास और भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी आलोक प्रभाकर शामिल हैं.
मणिपुर में हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में सामान्य होती स्थिति को देखते हुए कर्फ्यू में ढील दी गयी है. मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने बताया, घाटी में 12 घंटे और पहाड़ी जिलों में 10 घंटे और 07 घंटे कर्फ्यू में ढील दी गई है.
24 घंटे में 23 हथियार बरामद
सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने बताया, पिछले 24 घंटे के दौरान 23 और हथियार बरामद किए गए हैं. इससे कुल 202 हथियार, 252 गोला बारूद और 92 बम बरामद हुए हैं. अब तक कुल 789 हथियार और 10648 गोला-बारूद बरामद किए गए हैं.
शुक्रवार के बाद मणिपुर में स्थिति सामान्य
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चार दिवसीय दौरे के बाद मणिपुर के कुछ इलाकों में शुक्रवार को उग्रवादियों ने बम और हथियार से हमला किया था, जिसमें 15 लोग घायल हो गये थे. हालांकि उसके बाद सेना के जवानों ने स्थिति को नियंत्रण में लिया और तनावग्रस्त क्षेत्रों में गश्ती बढ़ा दी. इस घटना के बाद से अबतक हिंसा की दूसरी घटना नहीं हुई है.
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#Manipur | Curfew relaxation has been made for 12 hours in the valley and 10 hours and 07 hours in neighbouring hill districts. During the last 24 hours, 23 more arms have been recovered. This makes a total of 202 arms, 252 ammunition and 92 bombs of all kinds recovered. A total…
— ANI (@ANI) June 4, 2023
तीन सदस्यीय आयोग करेगा मणिपुर हिंसा की जांच
केंद्र ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में रविवार को एक जांच आयोग का गठन किया. अन्य सदस्यों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी हिमांशु शेखर दास और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी आलोक प्रभाकर शामिल हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आयोग तीन मई को और उसके बाद मणिपुर में विभिन्न समुदायों के सदस्यों को लक्षित कर हुई हिंसा और उसके कारणों की जांच करेगा. आयोग उन घटनाओं की कड़ी और ऐसी हिंसा से जुड़े सभी पहलुओं की जांच करेगा1 यह भी पता लगाया जाएगा कि किसी जिम्मेदार अधिकारी/व्यक्ति की ओर से इस संबंध में क्या कोई चूक या कर्तव्य में लापरवाही हुई है? जांच में हिंसा और दंगों को रोकने तथा इससे निपटने के लिए किए गए प्रशासनिक उपायों पर भी गौर किया जाएगा1
आयोग को 6 महीने के अंदर सौंपनी होगी रिपोर्ट
अधिसूचना के अनुसार, किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा आयोग को दी जाने वाली शिकायतों पर भी गौर किया जाएगा. आयोग जितनी जल्दी हो सके केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, लेकिन उसकी पहली बैठक की तारीख से छह महीने के भीतर यह कार्य हो जाना चाहिए. अधिसूचना में कहा गया है कि आयोग अगर उचित समझे, तो उक्त तिथि से पहले केंद्र सरकार को अंतरिम रिपोर्ट दे सकता है.
मणिपुर हिंसा में अबतक 98 लोगों की गयी जान, जानें क्या है मामला
गौरतलब है कि मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी. आरक्षित वन भूमि से कुकी समुदाय के ग्रामीणों को बेदखल करने पर पहले से तनाव था. मामले पर कई प्रदर्शन भी हुए थे. अबतक इस मामले में 98 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल भी हुए.