Manipur Violence: मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, भीड़ ने मंत्री का गोदाम फूंका, घर जलाने की भी कोशिश
मणिपुर की महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम जिले के लामफेल इलाके स्थित घर को 14 जून की रात को अज्ञात लोगों ने जला दिया था. इसके अगले दिन केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के घर पर हमला किया गया था और उसे जलाने की कोशिश की गई थी.
मणिपुर में एक बार फिर से हिंसा भड़की है. सर्वदलीय बैठक से पहले भीड़ ने मणिपुर के मंत्री एल सुसींद्रो के गोदाम में आग लगा दी. भीड़ ने मंत्री के इंफाल पूर्वी जिले के चिनगारेल स्थित निजी गोदाम में हमला किया.
भीड़ ने मंत्री के घर को भी जलाने की कोशिश की
बताया जा रहा है कि भीड़ ने उपभोक्ता एवं खाद्य मामलों के मंत्री सुसींद्रो के खुरई इलाके स्थित आवास और अन्य संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. भीड़ ने शुक्रवार की रात हमला किया. हालांकि सुरक्षा बलों ने वक्त पर पहुंचकर उन्हें रोक दिया.
मंत्री के घर का घेराव करना चाहती थी भीड़
पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों ने आधी रात तक आंसू गैस के कई गोले दागे, ताकि भीड़ को मंत्री के खुरई स्थित आवास का घेराव करने से रोका जा सके. घटना में किसी के भी हताहत होने की जानकारी नहीं है.
14 जून को एक मंत्री के घर को भीड़ ने आग के हवाले किया
इससे पहले, राज्य की महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम जिले के लामफेल इलाके स्थित घर को 14 जून की रात को अज्ञात लोगों ने जला दिया था. इसके अगले दिन केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के घर पर हमला किया गया था और उसे जलाने की कोशिश की गई थी.
अमित शाह आज करेंगे सर्वदलीय बैठक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज दिल्ली में मणिपुर की स्थिति को लेकर सर्वदलीय बैठक करने वाले हैं. मालूम हो पिछले दिनों शाह ने हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा किया था. चार दिनों तक वहां रहकर शाह ने हिंसा में शामिल दोनों समुदाय के लोगों से बात की थी. साथ ही सुरक्षा स्थिति का भी जायजा लिया था.
मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा
गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों में हुए जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई हैं. मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी 53 प्रतिशत है, जिसमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहती है, जबकि नगा और कुकी जनजातियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और यह ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहती है.