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Manipur Violence: प्रदर्शनकारियों ने किया कर्फ्यू का उल्लंघन, पुलिस कार्रवाई में 40 से ज्यादा लोग घायल

Manipur Violence: मणिपुर के विष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे जिससे 40 से अधिक लोग घायल हो गए हैं.

Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है. पुलिस प्रशासन शांति बहाल करने की हर संभव कोशिश कर रही है, लेकिन हर दिन कुछ न कुछ घटनाएं सामने आ ही जा रही है. इसी कड़ी में मणिपुर के विष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे जिससे 40 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. घायलों में अधिकांश महिलाएं थीं. इधर, घटना को लेकर अधिकारियों ने कहा है कि कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए विष्णुपुर जिले के ओइनम में सैकड़ों स्थानीय लोग अपने घरों से बाहर आ गये. प्रदर्शनकारी  पुलिस और अन्य केंद्रीय बलों के उन जवानों की आवाजाही रोकने के लिए सड़क के बीच में बैठ गए. जिसके बाद भीड़ के तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. हालांकि इस बीच प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के लगाए बैरिकेड तोड़ दिया और फौगाकचाओ इखाई की ओर बढ़ गए.

सीओसीओएमआई ने लोगों से बैरिकेड पर धावा बोलने का किया आह्वान
कोआर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (सीओसीओएमआई) के फौगाकचाओ इखाई में सेना के बैरिकेड तोड़ने के आह्वान पर बिष्णुपुर जिले में लोग एकत्रित हुए थे. इन लोगों की मांग थी कि उन्हें चुराचांदपुर की ओर भेज दिया जाए. अपुनबा मणिपुर कनबा इमा लुप (एएमकेआईएल) के अध्यक्ष लौरेम्बम नगनबी ने इस बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा कि तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद तोरबुंग में अपने घरों को छोड़ने वाले सैकड़ों मेइती बैरिकेड के कारण अपने घरों में नहीं जा पा रहे थे. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ यह मांग कर रहे हैं कि वे स्थानांतरित किये जाए ताकि लोग अपने घर जा सकें. सीओसीओएमआई ने लोगों से बैरिकेड पर धावा बोलने का आह्वान किया था क्योंकि सरकार ने 30 अगस्त तक बैरिकेड्स हटाने संबंधी उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया.

प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का किया उल्लंघन
इधर, मणिपुर के विष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे जिससे 40 से अधिक व्यक्ति घायल हो गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि घायलों को इलाज के लिए बिष्णुपुर जिला अस्पताल और आसपास के अन्य अस्पतालों में ले जाया गया है. गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कानून-व्यवस्था के उल्लंघन की आशंका में घाटी के पांच जिलों में अगले आदेश तक पूर्ण कर्फ्यू लागू कर दिया था.

मणिपुर के पांच घाटी जिलों में लगाया गया पूर्ण कर्फ्यू
गौरतलब है कि हिंसा के बीच मणिपुर के पांच घाटी जिले में एहतियाती उपाय के तौर पर मंगलवार शाम से एक बार फिर पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है. गौरतलब है कि चूराचांदपुर से कुछ किलोमीटर दूर बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी और उसकी महिला इकाई की ओर से बुधवार को सभी घाटी जिलों के लोगों से सेना के एक बैरिकेड को हटाने के आह्वान को देखते हुए बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल, इम्फाल वेस्ट और इंफाल ईस्ट में कर्फ्यू के घंटों में दी गई ढील समाप्त कर दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश
इधर मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में खाना और दवाइयों की सप्लाई और उनकी उपलब्धता को लेकर मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि किसी तरह की भी समस्या और जरूरत का तुरंत समाधान किया जाये. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने हथियारों की रिकवरी का रोडमैप भी मांगा है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार के हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि अगर कोई शिकायत है तो कमेटी के पास अपनी मांग रख सकते हैं.

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संसद के विशेष सत्र में छिड़ सकता है मणिपुर हिंसा का मामला
बता दें, 18 सितंबर को संसद का विशेष सत्र शुरू हो सकता है. सत्र पुरानी इमारत में शुरू हो सकता है फिर इसके अगले दिन नए भवन से कार्यवाही के संचालन की संभावना है. रिपोर्ट के मुताबिक नए संसद भवन में कामकाज का स्थानांतरण गणेश चतुर्थी के साथ होगा, जिसे किसी भी नई शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है. इसी कड़ी में सोनिया गांधी ने आज यानी बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि विशेष सत्र के लिए कोई एजेंडा सूचीबद्ध नहीं किया गया. उन्होंने जाति जनगणना, चीन के साथ सीमा विवाद, और मणिपुर हिंसा समेत नौ मुद्दों पर चर्चा का भी आग्रह किया है. गौरतलब है कि इससे पहले मानसून सत्र में मणिपुर हिंसा को लेकर सत्र विपक्ष के हंगामे का शिकार हो गया था. एक दिन भी सत्र नहीं चल पाया था.

क्यों मणिपुर में लगी है आग
गौरतलब है कि मणिपुर में हिंसा को 3 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प में कई लोगों की जान जा चुकी है, और सैकड़ों घरों को आग के हवाले कर दिया गया है. दरअसल, मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा हो रही है. महीनों से जारी  हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. कई अमानवीय कृत्य भी हिंसा के दौर में देखने को मिले.

भाषा इनपुट से साभार

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