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Manipur Violence: मणिपुर में फिर से सक्रिय हो रहे आतंकी समूह, तनाव बढ़ाने के प्रयास में जुटे

प्रतिबंधित समूहों यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से जुड़े आतंकवादी कथित तौर पर उस भीड़ का हिस्सा थे, जिसने मणिपुर में एक सैन्य अधिकारी पर गोलियां चलाईं.

मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच तनाव अब भी जारी है और खबर है कि कई आतंकी समूह फिर से राज्य में सक्रिय होने लगे हैं. सुरक्षा एजेंसियों ने मणिपुर में फिर से तनाव बढ़ने की आशंका व्यक्त की है. मालूम हो 3 मई से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है. हिंसा में अबतक 160 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है. जबकि हजारों की संख्या में लोग बेघर हुए हैं, उन्हें राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

यूएनएलएफ और पीएलए से जुड़े आतंकवादियों ने सैन्य अधिकारियों पर चलाईं थी गोलिंया

प्रतिबंधित समूहों यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से जुड़े आतंकवादी कथित तौर पर उस भीड़ का हिस्सा थे, जिसने मणिपुर में एक सैन्य अधिकारी पर गोलियां चलाईं. अधिाकरियों ने बताया, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने अब अशांत मणिपुर में तनाव बढ़ाने के लिए किसी भी विरोध-प्रदर्शन के दौरान भीड़ में आतंकवादियों के शामिल होने की आशंका के बारे में चेताया है.

लोगों के एक समूह के बीच टकराव में सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल हुए थे घायल

यह चेतावनी पिछले हफ्ते सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल के घायल होने के बाद आई है, जो लोगों के एक समूह के साथ टकराव के दौरान घायल हो गए थे. इस समूह ने टेंगनौपाल जिले के पलेल के पास मोलनोई गांव में आदिवासियों पर हमला करने का प्रयास किया था, लेकिन सेना और असम राइफल्स ने इसे विफल कर दिया. टकराव के दौरान एक गोली लेफ्टिनेंट कर्नल रमन त्यागी के हाथ में लगी, जिसके बाद आदिवासी गांव की ओर मार्च करने पर अड़े प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. अधिकारियों ने कहा कि लेफ्टिनेंट कर्नल त्यागी को हेलीकॉप्टर के जरिये मणिपुर से गुवाहाटी ले जाया गया, जहां उनकी सर्जरी की गई. उन्होंने बताया कि घटना की जांच से सुरक्षा एजेंसियां इस नतीजे पर पहुंचीं कि प्रतिबंधित समूहों के आतंकवादी प्रदर्शनकारी भीड़ का हिस्सा थे.

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निष्क्रिय आतंकी समूह हो रहे दोबारा सक्रिय

अधिकारियों ने कहा कि वे पिछले कुछ हफ्तों से राज्य में यूएनएलएफ, पीएलए, कांगलेई यावोल कनबा लूप (केवाईकेएल) और पीपुल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेइपाक (पीआरईपीएके) जैसे लगभग निष्क्रिय प्रतिबंधित समूहों के दोबारा सक्रिय होने के बारे में चेतावनी दे रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में यूएनएलएफ के 330 कैडर हैं, इसके बाद पीएलए के 300 और केवाईकेएल के 25 कैडर हैं, जो बहुसंख्यक समुदाय के समूहों के भीतर सक्रिय हैं.

प्रतिबंधित संगठनों के कैडर को मिल रहा जबरदस्त समर्थन

इन प्रतिबंधित संगठनों के कैडर को मिल रहा जबरदस्त समर्थन 24 जून को तब दिखा, जब सेना और असम राइफल्स ने विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर पूर्वी इम्फाल में केवाईकेएल के 12 सदस्यों को पकड़ लिया, जिनमें स्वयंभू ‘लेफ्टिनेंट कर्नल’ मोइरांगथेम तम्बा उर्फ उत्तम भी शामिल था. उत्तम वर्ष 2015 में 6, डोगरा रेजिमेंट पर घात लगाकर किए गए हमले के मुख्य साजिशकर्ता में से एक था. इस हमले में सेना के 18 जवान मारे गए थे. यूएनएलएफ अतीत में बड़े पैमाने पर ठेकेदारों और व्यापारियों को निशाना बनाकर जबरन वसूली में शामिल रहा है. पीएलए, जिसने शुरुआत में मणिपुर के प्राचीन नाम ‘पोलेई’ के नाम से आकार लिया था, का उद्देश्य मणिपुर को कथित तौर पर स्वतंत्र कराना और इम्फाल घाटी में एक स्वतंत्र मैतेई शासन स्थापित करना था.

केवाईकेएल जबरन वसूली से पैसा जुटाता है

केवाईकेएल जबरन वसूली से पैसा जुटाता है और खुले तौर पर अन्य आतंकवादी समूहों का समर्थन करता है. इसे भाड़े पर काम करने वाला समूह माना जाता है, जिसकी कोई विचारधारा नहीं है. पीआरईपीएके को अलगाववादी विचारधारा के लिए सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया और यह समूह मुख्य रूप से व्यवसायियों से जबरन वसूली के जरिये पैसा जुटाता है. यह आतंकी समूह पीएलए और यूएनएलएफ की ओर से जबरन वसूली में भी शामिल है. यह समूह वसूली की रकम में से अपना हिस्सा रखने के बाद बाकी पैसे आतंकी समूहों को पहुंचाता है. अधिकारियों ने कहा कि ऐसी आशंका है कि मणिपुर पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए हथियार और गोला-बारूद इन आतंकवादी समूहों के पास पहुंचे होंगे.

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