मणिपुर पिछले 90 दिनों से हिंसा की आग में जल रहा है. रोजाना वहां से नयी-नयी घटनाएं सामने आ रही हैं. राज्य में महिलाएं सड़क पर उतरकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. सोमवार को भी पुलिस बल को हटाने की मांग करते हुए आदिवासी महिलाओं ने प्रदर्शन किया.
महिलाओं ने दी व्यापक आंदोलन की धमकी
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने सोमवार को धमकी दी कि अगर राज्य सरकार मोरेह से राज्य पुलिस बल के जवानों को तुरंत वापस नहीं बुलाती है तो मणिपुर के सभी आदिवासी जिलों में आंदोलन शुरू किया जाएगा. इससे कुछ घंटे पहले ही, राज्य के चुराचांदपुर जिले में एक हजार से अधिक महिलाओं ने म्यांमा की सीमा से सटे मोरेह कस्बे से राज्य पुलिस बलों को हटाने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया. आईएलटीएफ ने कहा, निष्पक्षता एवं तटस्थता बनाए रखने के लिए, सरकार से मोरेह से (राज्य के) सुरक्षा कर्मियों को वापस बुलाने का हम विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं. इसके साथ ही संगठन ने कहा कि अगर यह मांग नहीं मानी गई तो, हम सभी आदिवासी जिलों में जन आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य होंगे.
प्रदर्शनकारी महिलाओं का आरोप, उग्रवादी समूहों से मिले हैं पुलिस अधिकार
आईएलटीएफ नेताओं ने कहा कि वे मणिपुर सरकार द्वारा मोरेह शहर में राज्य सुरक्षा बलों को तैनात करने के सरकार के प्रयास से चिंतित है, जहां कुकी-जो आदिवासी रहते हैं. कुकी समुदाय का आरोप है कि राज्य पुलिस में मैतेई कर्मियों की खासी संख्या है और उसका रवैया पक्षपातपूर्ण है. आईटीएलएफ ने कहा कि उसे आशंका है कि उग्रवादी समूहों के सदस्य पुलिस के साथ मिले हुए हैं और वे अगर मोरेह में प्रवेश करते हैं तो भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. उसने कहा कि तेंगनौपाल में ज्यादातर पुलिसकर्मी बहुसंख्यक समुदाय से हैं. आईटीएलएफ ने कहा, मोरेह में आदिवासी महिलाएं राज्य बलों को सीमावर्ती कस्बे में प्रवेश करने से रोकने के प्रयास में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर रही हैं.
Also Read: मणिपुर वीडियो मामला: सीबीआई जांच नहीं चाहती महिलाएं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक सिस्टम बनाने की जरूरत
मोरेह कस्बे में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को प्रवेश करने से रोका
कुकी-जो समुदाय की हजारों महिलाओं ने पुलिस बलों को मोरेह कस्बे में दाखिल होने से रोकने के लिए 28 जुलाई को वहां जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया था. इंडियन रिजर्व बटालियन और मणिपुर राइफल्स सहित अन्य सुरक्षा बलों का दस वाहनों का एक काफिला जब मोरेह कस्बे की तरफ बढ़ रहा था, तब महिलाओं ने उसे तेंगनौपाल में रोक दिया था.
विपक्षी सांसदों की टीम ने मणिपुर का किया दौरा
एक दिन पहले ही, विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) ने कहा था कि अगर मणिपुर में जातीय संघर्ष की समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो पूरे देश के समक्ष सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
Also Read: मणिपुर वीडियो मामला: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, घटना 4 मई को हुई तो, 14 दिन बाद FIR क्यों?
मणिपुर हिंसा में अबतक कुल 160 लोगों की हो चुकी है मौत
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.