मणिपुर में एक फिर से हिंसा भड़क उठी है. प्रदर्शनकारियों ने दो घरों को आग के हवाले कर दिया. इधर हिंसा मामले में एक पूर्व विधायक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है विधायक और तीन अन्य ने हथियार के बल पर लोगों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए बाध्य किया, जिसके बाद एक बार फिर हिंसा भड़क उठी. हालांकि, आगजनी की इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. भीड़ ने एक बदमाश की पिटाई भी की, जबकि अन्य भागने में सफल रहे. तीन लोगों को बाद में हिरासत में ले लिया गया.
सीएम बीरेन सिंह ने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने लोगों से निर्दोषों के घरों में आग नहीं लगाने की अपील की. उन्होंने कहा, हम अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे… हमने केंद्रीय बलों से सुरक्षाकर्मियों की 20 और कंपनियां मंगाने का भी फैसला किया है. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में से एक पूर्वोत्तर राज्य का पूर्व विधायक हैं. राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच तीन मई से हिंसा की खबरें आ रही हैं.
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सेना को दागने पड़े आंसूगैस के गोले
क्षेत्र में तैनात सेना के जवान घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया और आंसूगैस के गोले दागे जिससे कुछ लोगों को मामूली चोटें आईं. स्थानीय लोगों ने सड़क पर टायर जलाकर इस घटना का विरोध किया. पूर्वी इंफाल जिले में पहले कर्फ्यू में ढील दी गई थी लेकिन इस घटना के बाद उसे कड़ा कर दिया गया.
मणिपुर में शांति बहाली के लिए करीब 10 हजार जवान तैनात
राज्य में वर्तमान में सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवान तैनात हैं. सुरक्षा बल ड्रोन और चीता हेलीकॉप्टरों से हवाई निगरानी कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य के अंदर और बाहर सोशल मीडिया पर नफरत और दुश्मनी फैलाने वालों के खिलाफ समय रहते कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और उन्हें दंडित किया जाएगा.
हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा ठप
राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. आरोप है कि राज्य के बाहर रहने वाले मैतेई और कुकी समुदाय के लोग अपने-अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए नफरत फैला रहे हैं. गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को कई जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था जिसके बाद मणिपुर में झड़पें हुईं.