मणिपुर में बहुत बड़े खतरे की घंटी, म्यांमार से 900 ट्रेंड कुकी उग्रवादी घुसे

Manipur violence: सूत्र बताते हैं कि ये उग्रवादी 30 सदस्यों के समूहों में विभाजित होकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैल गए हैं.

By Aman Kumar Pandey | September 21, 2024 7:47 AM
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Manipur violence: मणिपुर में पिछले 16 महीनों से हिंसा जारी है, और हाल ही में आई एक जानकारी ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, 900 से अधिक कुकी उग्रवादी, जो ड्रोन से बम, प्रोजेक्टाइल, मिसाइल चलाने और जंगल में युद्ध लड़ने में प्रशिक्षित हैं, म्यांमार के रास्ते मणिपुर में घुस आए हैं.

मणिपुर में उग्रवादी 30-30 के समूहों में बंटे हुए हैं

सूत्र बताते हैं कि ये उग्रवादी 30 सदस्यों के समूहों में विभाजित होकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैल गए हैं. जानकारी के अनुसार, 28 सितंबर को ये उग्रवादी मैतई समुदाय के गांवों पर हमला करने की योजना बना रहे हैं. यह खुफिया रिपोर्ट मणिपुर के थौबल जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है. मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने इंफाल में इस रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए कहा कि इस सूचना को गंभीरता से लिया जा रहा है और इसके खिलाफ प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं.

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मणिपुर में हालिया हिंसा ने सभी को चौंका दिया

मणिपुर में पिछले 16 महीनों से जारी हिंसा ने राज्य को हिला कर रखा है, लेकिन सितंबर की शुरुआत में हुई ताजा हिंसा ने सबको चौंका दिया. इस हमले में ड्रोन, मिसाइलों और आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. कुकी और मैतई समुदाय के बीच संघर्ष में अब तक 226 लोगों की जान जा चुकी है, सैकड़ों घायल हुए हैं और हजारों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है.

मणिपुर में हिंसा क्यों नहीं रुक रही है?

मणिपुर में हिंसा थमने का नाम क्यों नहीं ले रही, इसका मुख्य कारण कुकी और मैतई समुदायों के बीच का जातीय संघर्ष है. मैतई समुदाय घाटी में जबकि कुकी समुदाय पहाड़ों में रहता है. हिंसा के बाद से दोनों समुदायों का एक-दूसरे के क्षेत्रों में आना-जाना लगभग बंद हो गया है.

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यह अलगाव हिंसा के जारी रहने का एक बड़ा कारण है. दोनों समुदायों ने अपने-अपने क्षेत्र में बंकर बना लिए हैं और उनके पास बड़ी मात्रा में हथियार भी हैं. जब भी उन्हें मौका मिलता है, वे एक-दूसरे पर हमला करते हैं और फिर अपने बंकरों में छिप जाते हैं. घाटी और पहाड़ी इलाकों की भौगोलिक स्थिति के कारण उन्हें रोक पाना भी चुनौतीपूर्ण है.

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