Manipur Violence : गर्मी की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट सोमवार को खुलने जा रहा है. कोर्ट में मणिपुर हिंसा पर याचिकाओं सहित कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई हो सकती है. खबरों की मानें तो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ मणिपुर हिंसा पर याचिकाओं पर सुनवाई कर सकती है, जिसमें अल्पसंख्यक कुकी आदिवासियों के लिए सुरक्षा की मांग की गयी है.
इस बीच आपको बता दें कि प्रदेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में अज्ञात बंदूकधारियों के साथ गोलीबारी में कम से कम तीन ‘ग्राम स्वयंसेवक’ के मारे जाने की खबर रविवार को आयी. इस हमले में पांच अन्य घायल भी हुए हैं. मामले को लेकर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि खोइजुमंताबी गांव में शनिवार देर रात को यह घटना हुई, जब ‘ग्राम स्वयंसेवक’ अस्थायी बंकर से इलाके की रखवाली में व्यस्त थे. पुलिस की ओर से बताया गया कि शुरुआत में दो शव बरामद किये गये और बाद में एक और शव मिला.
यहां चर्चा कर दें कि पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिये जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किये जाने के बाद मणिपुर में हिंसा भड़क उठी थी जिसके बाद से लगातार मौत की खबरें प्रदेश से आ रहीं हैं. मणिपुर की आबादी पर नजर डालें तो यहां 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में निवास करती है. जबकि, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी प्रदेश में 40 प्रतिशत है जो मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.
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इधर, मणिपुर में कुकी समूहों के दो अग्रणी संगठनों ने जानकारी दी कि उन्होंने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग-दो (NH-2) पर कांगपोकपी जिले में दो महीने से जारी नाकेबंदी हटा ली है. इस संबंध में यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) ने एक संयुक्त बयान जारी किया है. बयान के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा ‘‘शांति और सद्भाव बहाल करने का आह्वान किये जाने के बाद तत्काल प्रभाव से नाकेबंदी हटा ली गयी.