Manipur Violence : पुलिस के कमांडो पर उग्रवादियों ने किया हमला, असम राइफल्स के जवानों ने ऐसे की मदद
Manipur Violence Updates: मणिपुर हिंसा के बाद कई तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं. एक ताजा वीडियो सामने आया है जिसमें राज्य पुलिस के कमांडो पर उग्रवादी हमला करते नजर आ रहे हैं. इन कमांडो को असम राइफल्स के जवान बचाते नजर आ रहे हैं.
Manipur Violence : मणिपुर में 3 मई के बाद से लगातार हिंसा की खबर सामने आ रही है. अब राज्य के पुलिस कर्मियों पर सीधे हमले किये जाने लगे हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसपर लोग लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं. वीडियो की बात करें तो इसमें नजर आ रहा है कि उग्रवादियों ने मणिपुर के पुलिस कमांडो के दस्ते पर घात लगाकर हमला किया. इसके बाद भारतीय सेना के असम राइफल्स के जवान आगे आए और उन्होंने पुलिस कमांडो की जान बचाई. वायरल वीडियो 31 अक्टूबर 2023 का बताया जा रहा है, लेकिन ये अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. बताया जा रहा है कि पहाड़ी में छिपे उग्रवादियों ने 31 अक्टूबर को मणिपुर की राजधानी इंफाल और भारत-म्यांमार सीमावर्ती शहर मोरेह के बीच राजमार्ग पर मणिपुर पुलिस कमांडो के एक काफिले पर घात लगाकर हमला किया था. कमांडो इंफाल से 115 किमी दूर मोरेह जा रहे थे, जहां एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की एक विद्रोही स्नाइपर द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
वायरल वीडियो जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, इसमें देखा जा सकता है कि एक बख्तरबंद कैस्पिर माइनिंग रेसिस्टेंड व्हीकल के अंदर असम राइफल्स के जवानों का एक ग्रुप धीरे-धीरे राजमार्ग पर एक मोड़ पर पहुंच गया. फिर बख्तरबंद गाड़ी से गोलियों की बौछार सुनाई देती है. वहीं, सड़क के किनारे मणिपुर पुलिस कमांडो की एसयूवी की एक लंबी कतार नजर आ रही है, जो पहाड़ी के ऊपर से विद्रोहियों की गोलियों से घिरी हुई है. वीडियो में एक जवान को कैस्पिर के अंदर अपने दस्ते को पहाड़ी की चोटी की ओर देखने को कहते सुनाई दे रहा है. इसके तुरंत बाद बख्तरबंद वाहन से गोलियां चलने की आवाजें सुनाई देने लगती है. इसके बाद एक जवान की जोर से आवाज आती है ये सटीक फायर है. थोड़ा पीछे जाओ और पुलिस को कवरिंग दो. उन्हें कवरिंग फायर की जरूरत है.
Don’t worry, we are here
एक अन्य वीडियो में एक आर्मी का जवान कमांडो पर चिल्लाते हुए नजर आ रहा है, जो अभी भी जंगली पहाड़ी में छिपे विद्रोहियों से भिड़े हुए थे, सुरक्षा के लिए जल्दी से बख्तरबंद वाहन के अंदर भागने के लिए क्योंकि वे निचली जमीन पर थे और विद्रोहियों के लिए आसान टारगेट थे. कई कमांडो खराब जगह से गोलीबारी करते नजर आए. उनमें से एक कैस्पिर पर कूदने में कामयाब हो पाया. असम राइफल्स के एक जवान को मेडिकल के लिए वहां था वह चिल्लाते हुए कहता है कि Don’t worry, we are here. Don’t worry…यह बात वह असम कमांडो से कह रहा था जिसके पैर पर गोली लगी थी. एक अन्य कमांडो रेंगते हुए वाहन की ओर आता है और सेना के जवान उसे तुरंत अंदर खींच लेते हैं. एक जवान डॉक्टर से कहता है, उसे कई गोलियां लगी हैं… पहले उसका इलाज करो…कमांडो के खून का बहाव रोकने का प्रयास करते हुए सेना का डॉक्टर कहता है कि चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा…
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खबरों की मानें तो असम राइफल्स के जवान उस दिन तीन घायल कमांडो को अस्पताल ले गए. घात लगाकर किए गए हमले में किसी की जान नहीं गई जो एक अच्छी खबर है.
कुकी और मैतेई में विवाद का क्या है कारण
मणिपुर में तीन मई से हिंसा जारी है. मणिपुर में हिंसा और विवाद की वजह है, वहां का कानून. जिसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न रह सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. जबकि पहाड़ियों में रहने वाले कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. इस बात को लेकर मैतेई समुदाय का आपत्ति है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) का आयोजित किया गया था. यह मार्च कुकी समुदाय के ओर से आयोजित किया गया था. इसी दौरान हिंसा भड़क उठी.
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