हिंसाग्रस्त मणिपुर में सेना के जवानों के लिए प्रदर्शनकारी महिलाएं बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं. सेना के अभियान को जानबूझकर बाधित करने की कोशिश की जा रही है. बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी महिलाएं सड़क को ब्लॉक कर दे रहीं हैं, जिससे सेना के जवान अपने अभियान को आगे नहीं बढ़ा पा रहे.
अभियान को जानबूझकर बाधित करने को सेना ने बताया गैरकानूनी
सेना ने मणिपुर में महिलाओं द्वारा उनके अभियान को जानबूझकर बाधित करने को गैरकानूनी बताया है. भारतीय सेना ने कहा है कि सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही को अवरुद्ध करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि कानून एवं व्यवस्था बहाल करने के उनके प्रयासों के लिए भी हानिकारक है.
सेना ने महिलाओं के प्रदर्शन को लेकर वीडियो पोस्ट किया
सोमवार देर रात भारतीय सेना ने एक ट्वीट किया और वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमें महिला कार्यकर्ता सेना के जवानों को आगे बढ़ने रोकती दिख रही हैं. सेना ने ट्वीट किया और लिखा, मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के संचालन में हस्तक्षेप कर रही हैं. इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप हानिकारक है. भारतीय सेना की स्पीयर कोर ने एक ट्वीट में कहा, भारतीय सेना आबादी के सभी वर्गों से समर्थन करने की अपील करती है. शांति बहाल करने के हमारे प्रयास जारी रहेंगे.
Women activists in #Manipur are deliberately blocking routes and interfering in Operations of Security Forces. Such unwarranted interference is detrimental to the timely response by Security Forces during critical situations to save lives and property.
🔴 Indian Army appeals to… pic.twitter.com/Md9nw6h7Fx— SpearCorps.IndianArmy (@Spearcorps) June 26, 2023
मेइती समुदाय का पुणे में प्रदर्शन, मणिपुर हिंसा खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
मेइती समुदाय के सदस्यों ने अपने मूल स्थान मणिपुर में हिंसा को तत्काल समाप्त करने की मांग को लेकर सोमवार को महाराष्ट्र के पुणे में धरना दिया. मेइती समुदाय के लोगों ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिंसा के 50 दिन बाद भी चुप हैं, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 60,000 लोगों का विस्थापन हुआ है. बयान में कहा गया कि हर दिन वहां से भारी गोलीबारी की खबरें आ रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोग युद्ध जैसे हालात में रह रहे हैं. केंद्र और मणिपुर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए, प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखा.
मणिपुर हिंसा में अबतक 100 से अधिक लोगों की मौत
गौरतलब है कि तीन मई से मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं. पूर्वोत्तर के इस राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है, जिसमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहती है, जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 फीसदी के आसपास है और ये ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.