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Manipur Viral Video: सीबीआई ने वायरल वीडियो मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरू की, मैतेई समुदाय का प्रदर्शन

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर में जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए हिंसा प्रभावित राज्य के दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को रवाना हुआ. सांसद दिल्ली से एक वाणिज्यिक विमान के जरिये मणिपुर रवाना हुए.

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराने के मामले में एफआईआर दर्ज की है. यह जानकारी सीबीआई अधिकारी ने दी है. मालूम हो 19 जुलाई को सोशल मीडिया में महिलाओं के साथ बर्बरता का वीडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद यह मामला देश और दुनिया के सामने आया था. इस मामले में अबतक 7 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. मामले की जांच के लिए सीबीआई को लगाया गया है.

इंफाल में मैतेई समुदाय का मेगा मार्च

मणिपुर मामले की जांच शुरू होने के साथ ही इंफाल में मैतेई समुदाय ने शनिवार को मेगा मार्च का आयोजन किया. जिसमें समुदाय की हजारों महिलाओं ने हिस्सा लिया और सड़क पर मार्च किया. मणिपुर का इतिहास रहा है कि यहां कोई भी प्रदर्शन हो महिलाएं उसके केंद्र में रहती हैं.

क्या है मामला

3 मई को मणिपुर में शुरू हुई हिंसा ने उस समय सारी हदें पार कर दी थी, जब अगले दिन करीब एक हजार से अधिक लोगों की भीड़ ने दो आदिवासी महिलाओं को अपना शिकार बनाया. भीड़ ने पहले गांव पर हमला किया, फिर अपनी जान बचाकर भाग रही दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराया. यही नहीं दरिंदों ने दोनों महिलाओं के साथ गैंगरेप भी किया. दोनों महिलाओं का आरोप है कि उन्हें मुक्त करने से पहले भीड़ ने उनका यौन उत्पीड़न भी किया था. इस घटना के संबंध में 26 सेकंड का एक वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था. वीडियो में दिखाई दे रही एक महिला पूर्व सैनिक की पत्नी है. उसके पति असम रेजिमेंट में सूबेदार के रूप में कार्यरत थे और करगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया था. वीडियो करीब 75 दिनों के बाद दुनिया के सामने आया. हालांकि इस घटना के संबंध में शिकायत करीब एक महीने पहले 21 जून को कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस थाने में दर्ज कराई गई थी. लेकिन पुलिस ने मामले पर कुछ नहीं किया.

मणिपुर मामले को लेकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन

मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बरता को लेकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन जारी है. विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने मानसून सत्र के दौरान भारी हंगामा जारी रखा है. उनकी मांग है कि मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के दोनों सदनों में बयान दें. इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है. जिसपर चर्चा के लिए तिथि का ऐलान किया जाएगा.

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विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सांसद मणिपुर रवाना

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर में जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए हिंसा प्रभावित राज्य के दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को रवाना हुआ. सांसद दिल्ली से एक वाणिज्यिक विमान के जरिये मणिपुर रवाना हुए. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने रवाना होने से पहले संवाददाताओं से कहा कि वह मणिपुर में अधिक से अधिक राहत शिविरों का दौरा करना चाहते हैं और हिंसा से प्रभावित हुए लोगों से बात करना चाहते हैं. चौधरी ने कहा, हमारी कोशिश राज्य के मौजूदा हालात का आकलन करने की है. हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार हमारे दौरे में कोई बाधा पैदा नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार को मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने, शांति लाने और राज्य के लोगों के दुख एवं पीड़ा को दूर करने के प्रयास करने चाहिए.

विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल में ये हैं शामिल

इस प्रतिनिधिमंडल में चौधरी और गोगोई के अलावा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की महुआ माजी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्र और वीसीके पार्टी के टी थिरुमावलवन शामिल हैं. जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल प्रसाद हेगड़े, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संदोश कुमार और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के ए ए रहीम, समाजवादी पार्टी (सपा) के जोवद अली खान, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के ई टी मोहम्मद बशीर, आम आदमी पार्टी (आप) के सुशील गुप्ता, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अरविंद सावंत, द्रमुक के डी रवि कुमार और कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम और के सुरेश भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं. इस प्रतिनिधिमंडल के रविवार दोपहर तक दिल्ली लौट आने की उम्मीद है.

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3 मई को शुरू हुई हिंसा में अबतक 160 लोगों की हो चुकी है मौत

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं. राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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कुकी और मैतेई में विवाद का क्या है कारण

कुकी और नगा पारंपरिक रूप से एक-दूसरे का विरोध करते आये हैं. हालांकि जब मामला मैतेई के खिलाफ आती है, तो दोनों समुदाय के लोग एकजुट हो जाते हैं और यही कारण है कि मैतेई समुदाय को दोनों से भिड़ना होता है. शुरुआत दिनों की बात करें, तो कुकी को मणिपुर की पहाड़ियों में मैतेई राजाओं ने ही बसाया था. ताकि वे इंफाल घाटी में मैतेई और घाटी पर आक्रमण करने वाले नागाओं के बीच एक बफर के रूप में काम कर सकें. 1993 में, मणिपुर में भयंकर नागा-कुकी हिंसा देखी गई जिसमें सौ से अधिक कुकी नगाओं द्वारा मारे गए. वर्तमान में मैतेई और कुकी के बीच संघर्ष की वजह आरक्षण है. पहाड़ियों में रहने वाले कुकी समुदाय सरकार की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल हैं, लेकिन मैतेई नहीं हैं. इसलिए मैतेई समुदाय के लोग लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. दूसरी ओर कुकी और नगा का आरोप है कि विकास के रूप में अधिकांश मैतेई समुदाय को मिलता है. विवाद तब और बढ़ गयी, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भेजने को कहा था. कुकी और नगा मैतेई को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ. उनका मानना है कि अगर मैतेई को एसटी का दर्जा मिल गया, तो जरूरत से ज्यादा नौकरियां और लाभ हासिल कर लेंगे.

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